लंदन। गर्म और ठोस लोहे से बना धरती का केंद्र घूम रहा है. इसी के कारण पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड बनता है. वैज्ञानिकों के हाल के एक अध्ययन से पता चलता है कि धरती का केंद्र विपरीत दिशा में घूमने लग सकती है. अब सवाल यह उठता है कि अगर धरती के केंद्र के घुमाव में होने वाले बदलाव से क्या इससे धरती पर भयंकर भूकंप आएंगे और तबाही मच जाएगी?

नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित शोध में पेकिंग यूनिवर्सिटी के सहयोगी अनुसंधान वैज्ञानिक यी यांग और प्रोफेसर शियाओडोंग सोंग ने 1960 के दशक के बाद से इसी तरह के रास्तों से पृथ्वी के आंतरिक कोर से होकर गुजरने वाली भूकंपीय तरंगों का अध्ययन किया. उन्होंने जो पाया कि हाल के दशक में आंतरिक कोर ने घूमना लगभग बंद कर दिया है, और ये उल्टी दिशा में घूम सकता है.

क्या फिर होगा विनाश?

शियाओडोंग सोंग और यी यांग का तर्क है कि उनकी गणना के आधार पर विद्युत चुम्बकीय और गुरुत्वाकर्षण बलों में एक छोटा सा असंतुलन आंतरिक कोर के रोटेशन को धीमा कर सकता है, और उलट भी सकता है. हालांकि, इस घुमाव के कुछ पल के लिए ठहरने और दूसरी दिशा में बदलने से धरती की सेहत पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. एक्सपर्ट का मानना है कि पृथ्वी के केंद्र की घूमने की दिशा में बदलाव होने से प्रलय जैसी कोई स्थिति नहीं बनेगी.

कैसी है धरती की संरचना?

पृथ्वी क्रस्ट, मेंटल और आंतरिक और बाहरी कोर से बनी है. ठोस आंतरिक कोर पृथ्वी की सरफेस से करीब 3,200 मील नीचे स्थित है, और तरल बाहरी कोर द्वारा अर्ध-ठोस मेंटल से अलग किया गया है, जो आंतरिक कोर को पृथ्वी के घूर्णन से अलग गति से घूमने की अनुमति देता है. करीब 2,200 मील की त्रिज्या के साथ, पृथ्वी का कोर लगभग मंगल ग्रह के आकार का है. इसमें ज्यादातर लोहा और निकल होता है. इसमें पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग एक तिहाई हिस्सा होता है.

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