पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। हीरे और कीमती पत्थरों को अपने में समेटे देवभोग विकासखंड सुविधाओं को तरस रहा है. इसका नुकसान अन्य वर्गों की तुलना में सबसे ज्यादा नौनिहारों को हो रहा है, जहां वे दर्घटना के खतरे के बीच पढ़ने को मजबूर हैं. जिम्मेदार स्थिति के जानकार होने के बाद भी अब तक कुछ नहीं कर पाए हैं.

देवभोग विकासखण्ड में बीते एक दशक से स्कूल भवनों की मरम्मत नहीं कराई गई है. विकासखंड स्रोत समन्वयक के रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक व मिडिल के 199 स्कूल भवनों में से 147 जर्जर हालत में हैं. इनमें से झाखरपारा के लियाहारीपारा, खुटगांव के माँझीपारा, लाटापारा के काण्डपारा, चिचिया, भतराबहली, घोटगुड़ा, मगररोडा, टिपपारा, मोसमकानी के अलावा 19 पंचायत के लगभग 70 स्कूल भवन कभी भी धराशाई हो सकते हैं.

इस पर शिक्षा विभाग का फरमान है कि किसी भी बच्चे को कमरे से बाहर बैठाया नहीं जाना है, जिसकी वजह से जान हथेली पर लेकर शिक्षक जर्जर भवन के नीचे स्कूली बच्चों को बिठाकर पढ़ा रहे हैं. अति जर्जर की श्रेणी वाले ज्यादातर भवनों में बारिश होते ही छत से पानी के साथ-साथ सीमेंट की पपड़िया भी गिरने लगती है. जनपद सदस्य असलम मेमन बताते हैं कि जर्जर भवन की मरम्मत जरूरी है. बरसात में रोज छत से पपड़िया गिर रही है, इसीलिए बच्चों को कमरे से बाहर बिठाकर पढ़ाया जा रहा है.

मरम्मत के लिये स्कूलों को भेजी रकम

मामले में डीईओ करमन खटकर ने बताया कि 4 माह पहले जिले भर के 100 से भी ज्यादा स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए 70 लाख रुपया जिला पँचायत को दिया गया था. संबंधित पंचायत को पैसा जारी किया गया है. इसके पहले देवभोग में 19 स्कूल के मरम्मत के लिए पंचायतों को 4 लाख रुपए भेजा गया था. सत्र आरम्भ से पहले मरम्मत किया जाना था, लेकिन अब तक एक भी पंचायत ने उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया है. जनपद सीईओ एमएल मंडावी ने सभी पंचायतों को पत्र जारी कर उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा है. उपयोगिता नहीं हुई है तो जनपद पंचायत कार्रवाई करेगा.

15वें वित्त मद से मरम्मत कराने के निर्देश

जनसमस्या निवारण शिविर में 10 से ज्यादा आवेदन स्कूल भवन मरम्मत को लेकर आए थे, जिसे कलेक्टर प्रभात मलिक ने गम्भीरता से लिया. उन्होंने सभी पंचायत सचिव को 15वें वित्त मद से भवन मरम्मत कराने निर्देश दिया. फ्लोरिंग, छत हो या फिर मूत्रालय-शौचालय निर्माण करना हो, इसी मद से तत्काल कराने कहा है. वहीं शेड निर्माण की आवश्यकता पड़ने पर मनरेगा से भी रुपए मंजूर करने की बात कही है.

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