शिखिल ब्यौहार, भोपाल। चुनावी दौर में भूमिपूजन और नारियल फोड़ने की सियासत का ट्रेंड पुराना है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता के ठीक पहले यह चुनावी भूमिपूजन का रिकॉर्ड आंकड़ा 53 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच गया। लिहाजा नई सरकार के सामने चुनावी भूमिपूजनों को पूरा कर पाना भी बड़ी चुनौती होगी। साथ ही एक बार फिर विकास के नाम पर कर्ज लेना भी सरकार की मजबूरी होगी।
मंत्रालय में बैठे वित्त विभाग के अफसरों की माने तो सरकार को इन कामों को पूरा करने के लिए भी कर्ज लेना होगा। लल्लूराम डॉट कॉम को मामले की पड़ताल में प्रदेश की स्थिति वित्तीय गणित में उलझी मिली। दरअसल प्रदेश में बीजेपी हो या कांग्रेस, जिसकी भी सरकार बनी उसे 3.52 लाख करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिलना तय है। आसान शब्दों में बात की जाए तो हर प्रदेशवासी सरकार के कारण वर्तमान में 40 हजार रुपये का कर्जदार है।
यदि वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट पर नजर डाले तो यह कर्ज से कम मजह 3.14 लाख करोड़ रुपये का है। इसके अलावा प्रदेश के खजाने से हर साल 19.5 हजार करोड़ तो मूल के ब्याज चुकाने में जा रहा है। विकास के नाम पर चुनावी भूमिपूजन की पड़ताल में एक और चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया। वह यह कि आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया। सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ है। कुल बजट का 26.2 फीसदी भाग तो ब्याज के अलावा वेतन-भत्ते को देने में खर्च हो जाता है। बजट का 07 फीसदी हिस्सा पेंशन और 20 फीसदी अन्य खर्चों की भेंट चढ़ जाता है। इसके अलावा भारी भरकम योजनाओं के संचालन का हिसाब अलग है।
मामले पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की जन विरोधी नीतियों और धांधली के कारण प्रदेश कर्ज की गर्त में गिरा। ताबड़तोड़ चुनावी भूमिपूजन भी सिर्फ सियासी लाभ को लेकर किए गए। लिहाजा प्रदेश की सत्ता कांग्रेस में आते ही इन भूमिपूजनों पर दौबारा विचारमंथन किया जाएगा। अनावश्यक भूमिपूजनों की फाइल रोकने में भी कांग्रेस सरकार हिचकिचाने वाली नहीं है।
उधर बीजेपी ने कांग्रेस के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि भूमिपूजन भी प्रदेश के विकास के लिए ही किए गए हैं। विकास का रोडमैप तैयार किया गया। कांग्रेस की मानसिकता में खोट होने के कारण विकास नहीं दिखता। साथ ही यह दावा भी किया कि नई सरकार बीजेपी की होगी और किए गए करोड़ों के भूमिपूजन पर काम भी होगा। बीजेपी ने विकास के लिए कर्ज को भी सही ठहराया।
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