लोकेश साहू, धमतरी। धमतरी के उत्तर सिंगपुर रेंज से होते हुए हाथियों का दल अब केरेगांव रेंज में पहुंच चुका है. शुक्रवार की शाम हाथियों के झुंड को झुरातराई के आस-पास जंगल में देखा गया. हाथियों पर नजर बनाए रखने वन विभाग की टीम जंगल में मुस्तैद है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले गरियाबंद जिले में हाथियों के झुंड ने एक युवक को कुचल कर मार डाला था. युवक मौत के घाट उतारने के बाद 21 हाथियों का दल बुधवार को धमतरी जिले में जंगल में पहुंच गया. मगरलोड ब्लाक के राजाडेरा जलाशय के आसपास हाथियों के झुंड को देखे जाने के बाद ग्रामीणों में दहशत फैल गई. सूचना मिलते ही वन विभाग की पूरी टीम मुस्तैद हो गई.

वनमंडला अधिकारी अमिताभ बाजपेई ने ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उन्हें सतर्क रहने हिदायत दी. वहीं एसपी बी पी राजभानु ने भी क्षेत्र में पहुंचकर हालात का जायजा लिया. बताया जा रहा है की हाथियों के दल ने आलेखूंटा गांव के पास एक केलाबाड़ी में पहुंचकर केला खाया और बाड़ी को नुकसान पहुंचाते हुए आगे बढ़ गया. हाथियों का यह दल उत्तर सिंगपुर से निकलकर अब केरेगांव रेंज में पहुंच चुका है.

रेंजर आरएन पांडे ने बताया कि हाथियों के झुंड में 4 से 5 बच्चे भी हैं. इसलिए यह दल धीरे-धीरे धीरे जंगल में बढ़ रहा है. आमतौर पर वयस्क हाथी 1 दिन में 35 से 40 किलोमीटर तक चल सकता है. लेकिन बच्चों के साथ होने के कारण 15 से 20 किलोमीटर की दूरी ही ये तय कर रहे हैं. पांडे ने बताया कि यह झुंड उत्तर व दक्षिण सिंगपुर के राजाडेरा, पठार भेंडरचुवा, छलकनी, झांझरकेरा होते हुए केरेगांव रेंज के झुरातराई जंगल पहुंच चुका है. आलेखूंटा गांव के पास एक केला बाड़ी को नुकसान पहुंचा है. राजस्व विभाग द्वारा नुकसान का मूल्यांकन किये जाने के बाद वन विभाग द्वारा संबंधित को मुआवजे का भुगतान किया जाएगा.

 कच्चे मकान में नहीं रहने की हिदायत

रेंजर आरएन पांडे ने बताया कि क्षेत्र के सभी गांव में सुबह शाम मुनादी कराई जा रही है. ग्रामीणों से अपील की है कि वे कच्चे मकानों में ना रहे, अगर मकान कच्चा है तो वे स्कूल, सामुदायिक भवन या अन्य किसी पक्के भवन में जाकर रहें. पटाखे नहीं फोड़ने और जंगल में नहीं जाने के निर्देश ग्रामीणों को दिए गए हैं. वन विभाग की टीम लगातार हाथियों के झुंड पर निगरानी रखी हुई है, लेकिन खदेड़ने का कोई प्रयास नहीं कर रहे, क्योंकि खदेड़ने की कोशिश में हाथी विचलित हो जाएंगे, चूंकि उनके साथ बच्चे भी हैं इसलिए हाथियों के विचलित होने से नुकसान अधिक हो सकता है. विभाग का पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि हाथियों को भी किसी तरह का नुकसान ना हो, ना ही किसी प्रकार के जान-माल की क्षति ग्रामीणों को हो.