योगेश यादव, बगीचा। जशपुर जिले के ग्रामीण आज भी विकास की राह देख रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य बने 20 साल हो गया, लेकिन सड़क, बिजली, पानी की समस्याएं आज भी कई गांवों में बनी हुईं हैं. ऐसे ही एक मामले में ग्राम पंचायत तम्बाकछार के आश्रित गांव जबला से एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन खाट में लेकर 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. क्योंकि गांव में आज तक सडक़ नहीं बनी है. इसके बाद भी परिजनों को महतारी एक्सप्रेस नहीं मिली, मजबूरी वश निजी वाहन से लेकर गर्भवती को अस्पताल लेकर पहुंचे.

इस इलाके में रहने वाले ग्रमीणों को सड़क जैसी आधारभूत संरचना के अभाव में ऐसी दिक्कतें आए दिन झेलनी पड़ती है. प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवतियों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की जरूरत होती है, लेकिन सड़क के अभाव में महिलाओं के लिए शुरू की गई महतारी एक्सप्रेस सेवा भी अनुपयोगी साबित होती है. स्वास्थ्य सुविधा की बेहतरी को लेकर शासन भले ही लाख दावे कर रही हो, पर आज भी सूबे के कई गांव ऐसे हैं, जहां तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती. पोटापानी व सोनईपुर के बीच के पांच किलोमीटर की सड़क वर्षों बाद भी दुरुस्त नहीं हो सका है.

ग्राम पंचायत तम्बाकछार से जबला तक पहुंचने का एक मात्र साधन पैदल यात्रा है. गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए खाट की डोली बनाते है और चार लोग इसे कंधे पर उठाकर पदयात्रा करते हुए दो नाला पार कर तम्बाकछार तक पहुंचते हैं.

ऐसा नहीं है की इस गांव में अस्पताल नहीं है. ग्राम पंचायत तम्बाकछार में उपस्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां की नर्स अक्सर गायब रहती है. प्रसूती व नवजात को खतरे से बचाने के लिए शासन की ओर से सरकारी अस्पतालों में ‘जननी सुरक्षा योजना’ का संचालन किया जा रहा है. प्रसूती का सहज ढंग से अस्पतालों में आकर प्रसव कराने वाली बाई व अन्य के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इतना ही नहीं, प्रसूतियों को अस्पताल तक लाने में शासन ने महतारी एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया है. बावजूद इसके गांवों तक पहुंचने का मार्ग दुरुस्त नहीं होने के कारण इन सुविधाओं से कई क्षेत्र के लोग वंचित हैं.

बरसात के बाद निर्माण शुरू होगा

इस मामले में बगीचा जनपद सीईओ विनोद सिंह का कहना है की कार्ययोजना बना कर भेज दिया गया है, बरसात के बाद इस गांव में पुलिया और सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

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