पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। शहर के दिवानमूडा सड़क मार्ग की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री जनक ध्रुव को दशहरे के दिन मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया, और उन्हे कार्यक्रम शुरू होने से पहले बरही के ग्राम 100 से भी ज्यादा ग्रामीण सड़क दिखाने जनक ध्रुव को पैदल ले गए. जनक ध्रुव, प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत के बेहद करीबी माने जाते हैं. और उन्होने कहा कि सड़क की यह समस्या प्रभारी मंत्री तक पहुंचाई जाए. साथ ही ग्रामीणों ने सड़क बनाने की एक मांग पत्र सौंपा.

ग्रामीणों ने बताया कि देवभोग मुख्यालय जाने वाले बरही दिवानमूडा मार्ग के लिए पिछले 20 साल से ग्रामीण संघर्ष कर रहे है, वर्ष 2017 व 2018 के कुछ महीने तक सड़क का सुख मिला. फिर सड़क जस की तस हो गई. ग्रामीणों ने पिछली सरकार के समय ठेकेदार पर मनमानी का भी आरोप लगाया. कांग्रेसी नेता जनक ध्रुव के सामने ही ग्रामीणों ने इस सरकार में अनदेखी का आरोप लगाते हुए, सड़क बनाने की एक मांग पत्र सौंपा. ग्रामीणों ने आग्रह किया कि प्रभारी मंत्री तक इस समस्या को अवगत करवा कर जल्द बनवाने कहा. ज्ञापन में 10 दिवस का अल्टीमेटम दिया है.

इस अवधि में कोई समाधान नहीं निकला तो इसी जर्जर सड़क में अनशन पर बैठने की चेतावनी दिया है. ग्रामीणों की भावनाओं के अनरूप जनक ध्रुव ने मौके पर ही पीएमजीएसवाय विभाग के ईई प्रदीप वर्मा को दूरभाष से सम्पर्क कर सड़क की विस्तृत जानकारी लिया।

जनक ध्रुव ने कहा कि सड़क निर्माण के नाम पर पूर्व में जमकर धांधली किया गया है. 2014 से 2016 के बीच दो कम्पनियो ने काम किया है. भाजपा सरकार के प्रभावी मंत्रियों के सरंक्षण प्राप्त ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई व सड़क अपग्रेडेशन के लिए भेजे गए लगभग 2 करोड़ के प्रपोजल को जल्द मंजूरी दिलाने प्रभारी मंत्री के समक्ष बात रखने का भरोसा दिलाया है. 10 दिवस के भीतर ठोस पहल की बात कही है.

5 किमी के सड़क में 3 करोड़ खर्च किया, अब 2 करोड़ मरम्मत के लिए चाहिए- बरही दीवान मुड़ा मार्ग 5.40 किमी पर वर्ष 2014 के पहले पीएमजीएसवाय विभाग ने अपने सूची में शामिल किया था. पहली बार लगभग 3 करोड का टेंडर लगाया गया। काम अथर्वा कंस्ट्रक्शन को मिली, कम्पनी ने जीएसबी व डब्ल्यू बीएम वर्क कर काम को आधे में छोड़ दिया. स्वीकृत राशि का 65 फिसदी खर्च किया। कई साल तक सड़क अधूरा पड़ा रहा. 2016 में 1 करोड के डामरीकरण कार्य के लिए अशोक खण्डेलवाल को टेंडर मिला, डामरीकरण हुआ पर 16 माह में ही उखड़ गया. अभी अपग्रेडेशन वर्क के लिए लगभग 2 करोड का प्रपोजल सरकार के पास साल भर से लंबित पड़ा है.

बरही ग्राम से नवरंगपुर जिले का सीमा लगा हुआ है. नवरंगपुर जिले के ग्रामीण, व्यापारी हो या ठेका कम्पनी कालाहांडी आवाजाही के लिए इसी मार्ग का इस्तेमाल करते है. ई ई प्रदीप वर्मा ने बताया कि सड़क की लोडिंग क्षमता 10 टन की थी, लेकिन ओड़िसा के ठेका कम्पनी व गल्ला ब्यापारियों की 30 से 40 टन लोड की गाड़ियां इसी सड़क से गुजरती है. सड़क उखड़ा तो सर्वे कराया गया. 24 घण्टे में 2700 वाहन गुजरने की रिपोर्ट आई. जो एक ग्रामीण सड़क मापदण्ड से तीन गुना ज्यादा है. गिट्टी भरे बड़ी हाइवा तक इसी मार्ग से गुजरता है. इन सब की रिपोर्ट तैयार किया गया. फिलहाल 20 टन कैपेसिटी के लिए अपग्रेडेशन वर्क का प्रपोजल बना कर शासन को भेजा गया है. मंजूरी मिलते ही कार्य कराया जाएगा.