मनीष सोनी, सरगुजा। इन दिनों प्रदेश भर में ईंट परिवहन में लगे वाहन खनिज विभाग और आटीओ के दो पाटों के बीच पिस रहे हैं. वाहन मालिक समझ नहीं पा रहे किस विभाग के नियम को माने। खनिज विभाग ने सभी ईंट व्यवसाइयों को  407 वाहन में 1500 नग़ ईंट ढोने की अनुमति (पीट पास )जारी किया हुआ है ,व्यापारी आज ही नहीं बल्कि वर्षों से इस आदेश और नियम के तहत काम करते आ रहे हैं  पर अब अचानक जैसे आरटीओ विभाग के अफ़सरों की नींद खुल गयी है।

आरटीओ द्वारा वसूली गई फाइन की रसीद

दरअसल 1500 नग ईंट का परिवहन करने वाले वाहनों को ओवरलोड बता कर आरटीओ विभाग उनसे मनमानी  राशि की उगाही कर रहे हैं , बावजूद इस नियम के भी विभाग तय नहीं कर सका है कि आख़िरकार इन ओवरलोड वाहन चालकों या मालिकों से इन्हें बतौर फाइन कितनी राशि लेनी है। किसी वाहन से  15000 रु तो किसी से 9000 या फ़िर कोई बिलकुल भी मुफ़्त में छोड़ दी जा रही है।

खनिज विभाग का पिट पास

वास्तविकता यह है की ग्राहक और व्यापारी दोनों के लिए  1500 नग ईंट के आंकड़े से ही यह व्यापार वर्षों से चला आ रहा है अब अचानक कोई नया नियम अगर आता है तो विभागों में आपसी सामंजस्य के तहत एक दुसरे को जानकारी देकर उसे अमल में लाना चाहिए  पर यहाँ ऐसा नहीं है।  यदि आर टी ओ  के लिए यह ओवरलोड है तो फ़िर माइंनिग के अधिकारी इसकी अनुमति देकर व्यवसायियों और वाहन चालकों को क्यों फँसा रहे हैं ?

ऐसे में सवाल उठता है की लंबे समय से प्रदेश में ईंट  का परिवहन 407 व ट्रेक्टर द्वारा किया जाता है माइनिंग विभाग द्वारा 1500 नग इट का पिट पास 407 व ट्रेक्टर के लिए परिवहन करने को दिया जाता है तो 1500 नग इट का परिवहन करने वाले  407 पर ओवर लोडिंग बात आरटीओ क्यों कर रहा है।

मकान निर्माण कराने वाले कुछ क्रेता बताते है की  अगर ऐसे में वाहन स्वामी यदि 1500 नग़ की जगह 1000 ईंट की बिक्री या परिवहन करते हैं तो ग्राहकों की ज़ेब पर  अतिरिक्त भार पड़ेगा साथ ही काम की गति भी प्रभावित होगी। 

इस मामले में जिला परिवहन अधिकारी एस एस कौशल ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा “हाँ ,ऐसे वाहनों पर कार्यवाही तो हम करते हैं पर जो वाहन ओवरलोड होते हैं उन्हीं पर कार्यवाही होती. अब चूंकि मामला प्रकाश में ला रहे हैं तो हम खनिज विभाग से इस संबंध में बात कर कोई हल निकालेंगे ताकि वाहन मालिकों को परेशानी न हो.”