विनोद दुबे, रायपुर। भिलाई में डेंगू महामारी का रूप ले चुका है। अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 500 से ज्यादा लोगों की पहचान डेंगू संदेही के रूप में हुई है। जिनमें तकरीबन 300 लोगों को जिला अस्पताल, भिलाई सेक्टर 9 अस्पताल सहित आस पास के सभी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। अब तक 150 से ज्यादा लोग डेंगू पाजिटिव पाए गए हैं। जिनका इलाज शहर के कई अस्पतालों में जारी है।
शहर में डेंगू के महामारी का रूप लेने के पीछे स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक जनवरी से डेंगू के मरीज अस्पतालों में आना शुरू हो गए थे। लेकिन इस मामले में सीएमएचओ ने जरा भी गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने इसे लेकर न तो जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी और न ही नगर निगम के स्वास्थ्य अमला को ही अलर्ट किया जिसकी वजह से डेंगू शहर में पैर पसारता गया और बड़ी संख्या में मासूमों सहित कई लोगों की मौत हो गई। सीएमएचओ की इसी लापरवाही के चलते जब मौत का आंकड़े ने 10 के अंक को छुआ तो खुद मुख्य सचिव को दुर्ग पहुंचना पड़ा। सीएमएचओ सुभाष पांडे की इस लापरवाही की वजह से उनके ऊपर कार्रवाई करते हुए उन्हें शनिवार को हटा दिया गया।
डेंगू को लेकर सबसे बड़ी चिंता की बात सामने आ रही है। लल्लूराम डॉट कॉम की तहकीकात में इस बात का खुलासा हुआ है कि डेंगू ने अपना रेजिस्टेंस डवलप कर लिया है। जिसकी वजह से उसके रोकथाम के लिए जिन दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा था लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह बेअसर साबित हो रही थी। पहले मैलेथियान नाम की दवाई का छिड़काव किया जा रहा था जिसका डेंगू के मच्छरों और उनके लार्वा पर कोई असर नहीं हो रहा था। जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा टैमीफास नाम की दवाई को मंगाया गया है। यह दवाई शनिवार को दुर्ग पहुंची जिसे नगर निगम कमिश्नर भिलाई केएल चौहान को खुद मलेरिया नियंत्रण विभाग के नोडल अधिकारी डॉ मंडल ने सौंपा। नगर निगम को यह दवाई मिलने के बाद अब इसका छिड़काव उन सभी इलाकों में किया जाएगा। जहां डेंगू का 1 भी संदेही सामने आया है। हालांकि यह दवाई कितनी असर कारक सिद्ध होगी, यह देखने वाली बात होगी। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि कर दी है उन्होंने बताया कि शहर  में पिछले कई सालों से डेंगू के मामले सामने आते रहे हैं अब डेंगू के मच्छरों ने रेजिस्टेंस डवलप कर लिया है। जिसकी वजह से स्थिति ज्यादा भयावह हो गई।
डेंगू के इस रूप में सामने आने के बाद जब मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को आदेश देना पड़ा उसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। खुद जिला कलेक्टर उमेश अग्रवाल इसकी मानिटरिंग कर रहे हैं। लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में उन्होंने बताया कि युद्ध स्तर पर दो दिनों में एनजीओ, एनसीसी स्काउट गाइड व विभिन्न संस्थाओं की मदद लेकर 24 हजार से ज्यादा कूलरों के पानी खाली कराए गए हैं। वहीं शहर के सारे अस्पतालों में मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई है। जो लोग इलाज के लिए आ रहे हैं उनका इलाज निशुल्क किए जाने का आदेश जारी किया गया है। मोबाइल यूनिटों को उन सभी क्षेत्रों में भेजा जा रहा है जहां 1 भी संदेही सामने आया है। नर्सिंग कालेज की छात्राओं और एएनएम सहायिकाओं को भी लगाया गया है।