दिल्ली. हवाई जहाज में यात्रा करते वक्त मोबाइल फोन पर बात करना और डेटा प्रयोग करने का इंतजार अब खत्म होगा। कानून मंत्रालय ने इन-फ्लाइट क्नेक्टिविटी पर दूरसंचार विभाग के दिशा-निर्देशों को मंजूरी प्रदान कर दी है। विभाग इन निर्देशों को दो सप्ताह के भीतर अधिसूचित कर देगा। अधिसूचना जारी होने के बाद ही एयरलाइंस उपभोक्ताओं को देश के हवाई दायरे में यह सेवाएं दे सकेंगी।
दूरसंचार विभाग द्वारा हवाई यात्रा में दूरसंचार सेवाएं देने से जुड़े दिशा-निर्देश करीब एक माह तक कानून मंत्रालय में विभिन्न कारणों से अटके थे। इनमें सुधार के बाद मंत्रालय की ओर से निर्देशों के मसौदे को मंजूरी प्रदान की गई है। विभाग के मुताबिक स्पाइसजेट ने इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सेवा देने की तैयारी कर ली है।
स्पाइसजेट के 737 मैक्स विमान में यात्रा करने वाले जल्द उड़ान के दौरान मोबाइल पर बातचीत और डेटा का प्रयोग कर सकेंगे। एयर इंडिया समेत अन्य विमानन कंपनियां भी यह सेवा देने के लिए हवाई जहाज में ढांचागत व्यवस्थाएं कर रहे हैं। एयरलाइन कंपनियों को यह सेवाएं मुहैया कराने के लिए दूरसंचार विभाग से लाइसेंस लेना होगा। विभाग द्वारा उपभोक्ताओं से यह सेवा देने के लिए एक रुपये का शुल्क तय किया है। विभाग का कहना है कि एयरलाइंस कंपनियों को आय का नया जरिया मिलेगा। जेट ब्लू, कतर एयरबेस, टर्की एयरलाइंस हवा में इंटरनेट की सुविधा देते हैं।
इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सेवा की शुरुआत में ग्राहक सिर्फ इंटरनेट सर्फिंग कर सकेंगे। बातचीत की सेवाएं मुहैया कराने में अभी कुछ वक्त लगेगा। दूरसंचार आयोग ने भी देश की व्यवस्था का उपयोग सुरक्षा के मद्देनजर करने को कहा था। साथ ही समुद्र और जमीन से निर्धारित ऊंचाई 3000 मीटर से ऊपर विमान पहुंचने पर भी सहमति बन गई है। करीब 30विदेशी वमिनन कंपनियां भारतीय हवाई सीमा से इतर कई देशों में इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी मुहैया कराती हैं। इनमें एयर एशिया, एयर फ्रांस, ब्रिटिश एयरवेज समेत अन्य विमानन कंपनियां हैं।
मौजूदा समय भारतीय हवाई क्षेत्र के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश और क्रियान्वयन नियम नहीं होने की वजह से यह सेवाएं बंद हो जाती हैं। याद रहे कि दूरसंचार नियामक द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद सरकार यह सेवाएं ग्राहकों को देने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने की ओर बढ़ी। इससे पहले दूरसंचार आयोग द्वारा ट्राई की सिफारिशों को मंजूरी प्रदान की गई थी। गौरतलब है कि सुरक्षा के मद्देनजर भारत की सेटेलाइट के प्रयोग करना तय किया गया है। जबकि यह नियम ट्राई की उस सिफारिश के खिलाफ है जिसमें इस सेवा के मुहैया कराने में विदेशी सेटेलाइट और गेटवे के इस्तेमाल की सिफारिश की गई थी। लेकिन दूरसंचार आयोग ने विदेशी सेटेलाइट के प्रयोग को अस्वीकार कर दिया था।