बिलासपुर. अजीत जोगी मामले को लेकर हाईकोर्ट के मनोनीत वरिष्ठ वकील उपेंद्रनाथ अवस्थी ने सरकार से हाईपावर कमेटी का गठन जल्द करने की अपील की है. उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि चुनाव में हर बार जनता का मुर्ख नहीं बनाया जा सकता है. लिहाज़ा जोगी जाति मामले में वो तत्काल दो अधिकारियों की नियुक्तियां करे जिससे हाईपावर कमेटी की वैधता कायम हो सके. गौरतलब है कि उपेंद्र नाथ अवस्थी नंदकुमार साय की वकील रक्षा अवस्थी के साथ जोगी मामले में पैरवी कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट के जोगी की जाति पर दिए निर्देश और हाईकोर्ट के हालिया फैसले पर अगर गंभीर है तो उसे फौरन नियुक्तियां करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि चूंकि 2013 में हाईपावर कमेटी अधिकारियों के पदनाम से बनी थी इसलिए कमेटी के खाली पदों पर दूसरे अधिकारियों की नियुक्ति करे जिससे अजीत जोगी की जाति पर जल्द से फैसला आ सके. उन्होंने कहा कि अजीत जोगी हाईकोर्ट में केस जीतने का कारण बेदह तकनीकि था कि हाईपावर कमेटी में तीन पदों पर एक ही अधिकारी थी. अब गेंद सरकार के पाले में है. इशारों ही इशारों में उन्होंने कह दिया कि सरकार के फैसला का संदेश जनता में जाएगा. उपेंद्र नाथ अवस्थी ने अपना बयान जारी किया है. अंग्रेजी में लिखे उनके बयान का हिंदी अनुवाद हम प्रकाशित कर रहे हैं.

 

अजीत जोगी की हाईकोर्ट में याचिका स्वीकार करने का कारण बहुत छोटा और तकनीकि था. हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष  तीन पोस्ट पर काबिज थे. इसलिए हाईपावर कमेटी को कोर्ट ने अवैध माना. अगर दो पोस्ट पर दो दूसरे अधिकारियों की नियुक्ति कर दी जाती है तो हाईपावर कमेटी वैध हो जाएगी. ये वैधता उसे अगस्त 2013 के नोटिफिकेशन के आधार पर मिलेगी. इसलिए कलेक्टर बिलासपुर वर्सेस अजीत जोगी केस में सुप्रीम कोर्ट  वर्सेस  मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश और हाईकोर्ट की याचिका के निर्देश का पालन करने को लेकर अगर राज्य सरकार गंभीर है तो फौरन हाईपावर कमेटी के दो खाली पदों पर नियुक्तियां करनी चाहिए. जिससे हाईपावर कमेटी डे टू डे सुनवाई करके महीने भर में मामले को उपयुक्त आदेश पारित कर पाएगी.

अब गेंद कोर्ट ने राज्य सरकार के पाले में डाल दिया है. अब देखना दिलचस्प है कि राज्य सरकार का इस पर क्या रवैया रहता है. जाहिर तौर पर सरकार के रुख का संदेश राज्य के मतदाताओं पर जाएगा. जो छै महीने बाद अपना काम करेगी. राज्य सरकार के पास ज़्यादा वक्त नहीं है कि वो अपनी नीयत साफ करे. समझदारी इसी में है कि वो तत्काल फैसला करे. वोटर अपने अनुभवों से सीखती है उसे बार-बार मुर्ख नहीं बनाया जा सकता. सावधान!