अजय शर्मा,भोपाल। मध्यप्रदेश तीर्थ स्थान और मेला प्राधिकरण भोपाल का एक अजीबोगरीब कारनामा सामने आया है. कारनामा इस बात का प्रमाण देता है कि मध्य प्रदेश तीर्थ स्थान और मेला प्राधिकरण भोपाल को मध्य प्रदेश के तीर्थ स्थलों की जानकारी ही नहीं है. इसलिए धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के अफसरों ने मध्य प्रदेश के तीर्थ स्थलों को शासन की सूची में शामिल करने की बजाये उत्तर प्रदेश के तीर्थ स्थलों को शामिल कर दिया है. नौकरशाहों की लापरवाही भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट में मौजूद तीर्थ स्थलों और राम वन गमन पथ के मामले में भी देखने को मिली है.

ये कर दिया सूची में खेल

प्राधिकरण ने प्रदेश भर के चयनित 103 तीर्थ स्थलों में राम वन गमन पथ में मौजूद आश्रम के स्थलों को भी सूची से गायब कर दिया है. यही नहीं सूची में प्रदेश के 52 जिलों के बजाय सिर्फ 35 जिलों के तीर्थ को ही शामिल किया गया है.

राम की तपस्थली को भूल गए अफसर

भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट में सबसे अधिक हिस्सा मध्यप्रदेश का आता है. इसमें कामतानाथ स्वामी, रामघाट, सती अनुसुइया, सुतीक्षण आश्रम, गुप्त गोदावरी सबसे अधिक चर्चित है. हर साल यह दीपावली पर यहां दीपदान मेला लगता है. जिसमें शामिल होने देशभर से लाखों लोग आते हैं. तीर्थ स्थल और मेला प्राधिकरण की सूची में यह कोई स्थान शामिल नहीं है.

ये नाम शामिल

सतना जिले के चित्रकूट में जो तीर्थ स्थल मेला प्राधिकरण की सूची में शामिल है, उसमें चित्रकूट तीर्थ सीता रसोई, जानकीकुंड, भरत कूप,  राम सिया, गणेश कुंड, वाल्मीकि आश्रम, विरार कुंड और वन देवी शामिल हैं. इस पूरे मामले को लेकर मँझगवा के राजस्व अनुविभागीय अधिकारी पीएस त्रिपाठी कहते हैं कि भरत कूप, रामसैया, विराध कुंड, गणेश कुंड एमपी में नहीं आते हैं. यह सभी यूपी के चित्रकूट की सीमा में है. माता शारदा मंदिर का नाम भी इसमें शामिल है, लेकिन बिरसिंहपुर का गोविनाथ मंदिर नहीं है.

विंध्य में ऐसे हुई कारस्तानी

रीवा संभाग के रीवा सतना सीधी सिंगरौली जिले में सिर्फ सतना जिले के तीर्थ इस सूची में शामिल किए गए हैं. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के क्षेत्र देवतालाब का सदियों पुराना शिव मंदिर और रीवा में महामृत्युंजय मंदिर समेत आधा दर्जन धार्मिक स्थलों पर हर साल मिला लगता है, लेकिन यह तीर्थ और मेला सूची में शामिल नहीं है. हैरानी की बात यह है कि सीधी जिले में चुरहट के पास स्थित सदियों पुराने शिव मंदिर को भी अनदेखा किया गया है इसी तरह पन्ना जिले के सालेह में अगस्त मुनि का सिद्धाश्रम और पन्ना में जुगल किशोर और जगन्नाथ के मंदिर हैं जो धार्मिक महत्व रखते हैं यह भी सूची से पूरी तरह दरकिनार कर दिए गए हैं.

उज्जैन के भी सैकड़ों स्थल गायब

सूची पर नजर दौड़ाई जाए तो बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के भी सैकड़ों मंदिर को गायब कर दिया गया है. महाकाल मंदिर उज्जैन तीर्थ, काल भैरव, हरसिद्धि देवी मंदिर, चित्रगुप्त तीर्थ, जैन तीर्थ, निषशक्लेश्वर, करणी माता, महिदपुर, पार्श्वनाथ के नाम हैं, पर 84 कोस के मंदिर प्रसिद्ध चिंतामणि मंदिर, मंगलनाथ समेत सैकड़ों मंदिरों को शामिल नहीं किया गया है. वही सीहोर में सलकनपुर देवी मंदिर का नाम है बाकी कोई अन्य स्थल नहीं शामिल है, जबकि जबलपुर से गौरी शंकर तीर्थ और मझौली का नाम है. भिंड जिले में रावतपुर धाम का नाम है लेकिन पंडोखर, दन्दौरा सरकार मंदिर के नाम शामिल नहीं है.

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