सत्यापल सिंह, रायपुर। छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में फर्जी तरीके से लोग नौकरी कर रहे हैं. खास तौर पर शिक्षा विभाग ने तो इस मामले में कई किर्तीमान रचे हैं. इसमें फर्जी तरीके शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति मामले में अक्सर प्रदेश सुर्खियों में रहा है. लेकिन हैरानी की बात ये हैं रहती की कई बार कई तरह के जाँच के बाद भी फर्जी नियुक्तियों के मामले में कार्रवाई नहीं हो पाती है. मामला एक विभाग से दूसरे विभाग, एक अधिकारी के पास दूसरे अधिकारी के पास लटकते रहता है.

एक बार कुछ इसी तरह का मामला सामने आया गरियाबंद जिले में. जिले में 2005-2007 के बीच नियुक्त किए गए शिक्षाकर्मियों के दस्तावेजों की जाँच की गई तो इसमें 129 लोग फर्जी शिक्षाकर्मी के तौर पर मिले हैं. मतलब यहाँ बच्चों को फर्जी शिक्षाकर्मी पढ़ा रहे हैं.

ये है पूरा मामला
ये पूरा मामला गरियाबंद जिले में मैनपुर जनपद पंचायत क्षेत्र का है. इलाके में 2005-07 के बीच नियुक्त किए गए वर्ग-3 के शिक्षाकर्मियों की जानकारी पंचायत सदस्यों ने मांगी. यह जानकारी अगस्त 2019 में सदस्यों की ओर से मांगी गई. सदस्यों की मांग पर जाँच प्रतिवेदन के अनुसार 454 शिक्षाकर्मी जाँच हेतु दस्तावेजों के साथ बुलाया गया. इनमें 322 शिक्षाकर्मी जाँच हेतु उपस्थित हुए. जाँच में 139 शिक्षाकर्मियों के दस्तावेज सही पाया गया, लेकिन 129 शिक्षाकर्मियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए. फर्जी पाए गए शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति निरस्त करने 17.07.2019 को पत्र लिखा गया. वहीं जो 132 शिक्षाकर्मी उपस्थित नहीं हुए उनके दस्तावेजों की जाँच चल रही है. जिला पंचायत सीईओ ने अपने जाँच प्रतिवेदन रिपोर्ट में फर्जी 129 शिक्षाकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने जनपद पंचायत सीईओ मैनपुर को 16.10.19 को पत्र लिखा. उन्होंने कार्यवाही की रिपोर्ट देने को भी कहा.

जिला और जनपद के बीच लटका मामला 
फिलहाल यह मामला अब जिला और जनपद पंचायत के बीच लटक गया है. जिला पंचायत सीईओ की ओर से प्रतिवेद भेजे 1 महीने का समय बीत गया, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई. इस मामले जब हमने जिला पंचायत सीईओ आरपी खुँटे को फोन लगाया तो मीडिया का नाम सुनते हुए उन्होंने चुप्पी साध ली. वहीं इसके बाद जब हमने जनपद पंचायत सीईओ मैनपुर नरसिंह ध्रुव को फोन किया ता उन्होंने कहा कि अभी इसमें कार्यवाही क्या करना ये समझ नहीं आ रहा इसलिए जिला पंचायत को फिर से पत्र लिखेंगे.

शिक्षा मंत्री संज्ञान ले
मतलब कार्यवाही अब तक शून्य और स्थिति जस की तस. फर्जी शिक्षाकर्मियों पर अब तक गाज नहीं गिरी है. ऐसे में अब सवाल ये क्या स्कूल शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह इस मामले में संज्ञान लेंगे ? क्या मंत्री फर्जी मास्टरों को बाहर करेंगे ? और सवाल ये भी कि जाँच के बाद भी अधिकारी कार्यवाही को लटकाकर रख रहे हैं तो उन पर भी कोई कार्रवाई होगी या नहीं ?

वही इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने कहा कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा अधिकारियों के मिलीभगत के बग़ैर संभव नहीं है. फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद कार्यवाही नहीं होना इस बात की और इंगित कर रहा है कि मामले को लेकर अधिकारी निपटाने की कोशिश में हैं. जो फर्जीवाड़ा कर के शिक्षक जैसे पद पर कार्यरत हैं. तब सोच सकते हैं कि वो किस तरह से बच्चों को शिक्षा दे रहे होंगे इतने बड़े फ़र्ज़ी भर्ती घोटाला उजागर होने के बाद कार्रवाई नहीं होना. मतलब साफ़ है कि यह बहुत बड़ा रैकेट है इसमें ऊपर से लेकर तमाम बड़े और छोटे अधिकारी शामिल हैं.