रायपुर। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक सदन में पारित हुआ. मंडी संशोधन में 7 संशोधन लाए गए है. इस दौरान कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि आज हम सब इस सदन में किसानों के हितों और राज्य की तरक्की को लेकर बैठे हैं. केंद्र के कानून में पहले बिल में कैपिटलिस्ट को फायदा दिया गया, दूसरे बिल में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का लाभ कंपनियों को दे दी गई. रिलांयस, अडानी जैसी कंपनियां आएंगी तो किसान कहाँ जाएगा?

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संंशोधन विधेयक में निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा, राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी की जांच का अधिकार, अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार, निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का अधिकार होगा, मंडी समिति और अधिकारियों पर वाद दायर करने का अधिकार, इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और आन लाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा, और जानकारी छुपाने और गलत जानकारी देने पर 3 माह की सजा या 5 हजार जुर्माना का प्रावधान दूसरी बार गलती पर छह माह की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माना का प्रावधान रखा गया है.

विधेयक सदन में पेश करते हुए कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मैं इस वक़्त सुषमा स्वराज जी को याद कर रहा हूँ. 4 दिसम्बर 2012 को वह संसद में नेता प्रतिपक्ष थी. उन्होंने तब कहा था कि मंडी का स्थानीय व्यापारियों से सीधा संपर्क होता है. घर में शादी ब्याह हो या कुछ और यह संबंध उन्हें जोड़े रखता है. उन्होंने कहा था कि वालमार्ट की मंडी खोलने जा रहे हैं? मैं इनमें दो नाम और जोड़ रहा हूँ. सारा व्यापार अम्बानी-अडानी करेंगे तो फुटकर में धंधा करने वाले कहाँ जाएंगे. हमे बार-बार घोषणा पत्र पढ़ने कहा जाता है. आपने भी 2100 रुपये समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा किया था. किसानों को तब धोखा क्यों दिया?

इस पर बीजेपी सदस्यों ने टिप्पणी की. अजय चंद्राकर ने कहा कि हमारी नियति थी तो हम इधर बैठे हैं. आप अपना वादा पूरा करें. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र ने भी घोषणा पत्र में यह नहीं कहा था कि रेलवे बेच देंगे, नगरनार बेच देंगे. इस पर भी जवाब दीजिये. रविन्द्र चौबे ने कहा कि धान खरीदी 2500 रुपये में किये जाने का वादा हमने दूसरे तरह से पूरी की है. राजीव न्याय योजना के जरिये अंतर की राशि हम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि तत्कालीन बीजेपी सरकार ने मंडी संशोधन कानून में आठ बार संशोधन किया था. हम भी संशोधन कर रहे है. इस संशोधन को कोई नहीं रोक सकता. हम अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर यह संशोधन कर रहे है.

कृषि मंत्री ने कहा कि संघीय ढांचा है. हम क्यों और किसलिए केंद्र से टकराएंगे. हमारे कृषि को व्यापार से मत जोड़िए. संविधान ने कृषि को लेकर राज्यों को पूरा अधिकार दिया है. कॉरपोरेट हाउस यदि कॉन्ट्रैक्ट खेती करेगी तो किसान क्या करेंगे? नागपुर में एक कॉरपोरेटस ने डेढ़ लाख मीट्रिक का गोडाऊन बना दिया है. 20 क में हमने यह संशोधन लाया है कि किन किसानों से खरीदी की गई, इसकी जांच करेंगे. जरूरत पड़ेगी तो हम न्यायालय में वाद भी दायर करेंगे. केंद्र के कानून में यह बताया गया कि किसान कहीं भी अपना उत्पाद बेच सकते है. क्या यह पहले नहीं था? पहले भी किसान देश और देश के बाहर अपने उत्पाद बेच सकते थे. मंदी का दौर चल रहा है. केवल एकमात्र क्षेत्र है कृषि जिसने अर्थव्यवस्था संभाल रखी है. इस क्षेत्र में भी पूंजीपतियों का नियंत्रण हो जाए इसलिए केंद्र ने ऐसा कानून बनाया है.