दुर्ग। बैंक प्रबंधन की गलती का खामियाजा भुगत रहे एक किसान को जिला उपभोक्ता फोरम से बड़ी राहत मिली है. फोरम ने बैंक ऑफ बड़ौदा को सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार मानते हुए 1 लाख से ज्यादा का हर्जाना लगाया है.

परिवाद के मुताबिक बेमेतरा जिला के साजा तहसील अंतर्गत ग्राम गोड़मर्रा के किसान ब्रह्मानंद ठाकुर ने बैंक ऑफ बड़ौदा से कृषि ऋण लिया था. जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत खरीफ फसल 2016-17 के लिए बीमा कराया जाना था, जिसके तहत बैंक ऑफ बड़ोदा द्वारा परिवादी के कृषि भूमि के लिए 5390 रुपये बीमा प्रीमियम काटा गया. लेकिन बैंक द्वारा लापरवाही पूर्वक उसे परिवादी के खेत वाले ग्राम पंचायत गोड़मर्रा की जगह गाड़ाडीह के नाम से बीमा कंपनी को प्रेषित कर दिया गया. जिसका खामियाजा किसान को उठाना पड़ा, बीमा दावा के समय ग्राम गाड़ाडीह सूखाग्रस्त घोषित नहीं होने के कारण परिवादी को बीमा दावा प्राप्त नहीं हो सका. जिस पर परिवादी ने बैंक में जाकर शिकायत की तब बैंक द्वारा बीमा कंपनी से पत्राचार कर ग्राम पंचायत का नाम गाड़ाडीह की जगह गोड़मर्रा करने का निवेदन किया गया परंतु इसके बाद भी फसल बीमा की राशि नहीं मिली, जिसके बाद परिवादी ने दुर्ग जिला फोरम में अपना परिवाद दाखिल किया.

अनावेदक बैंक ऑफ बड़ौदा का बचाव

बैंक ऑफ बड़ौदा ने मामले में फोरम के समक्ष अपना पक्ष रखा गया. जिसमें कहा गया कि परिवादी का फसल बीमा ग्राम गाड़ाडीह के लिए काट लिया गया था. जिसमें सुधार हेतु बीमा कंपनी को लगातार ईमेल से सूचित कर निवेदन किया गया परंतु बीमा कंपनी ने ध्यान नहीं दिया. बीमा कंपनी ने बीमा प्रीमियम प्राप्त किया है इसलिए बीमा कंपनी बीमा दावा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी का बचाव

मामले में इंश्योरेंस कंपनी रिलायंस जनरल इंश्योरेंस ने प्रकरण में अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत किया कि परिवादी जिस ग्राम पंचायत गाड़ाडीह के अंतर्गत बीमित था उस ग्राम पंचायत में थ्रेसहोल्ड फसल से वास्तविक फसल अधिक होने के कारण वह ग्राम सूखाग्रस्त की श्रेणी में नहीं आता था. इस कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कि ऑपरेशन गाइडलाइन के प्रावधान अनुसार परिवादी को कोई क्षति नहीं होने के कारण दावा भुगतान नहीं किया गया है, इसमें अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा कोई लापरवाही नहीं की गई है.

फोरम का फैसला

मामले में जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने प्रकरण में प्रस्तुत साक्ष्य एवं दस्तावेजों की विवेचना में पाया कि परिवादी का खेत वास्तव में ग्राम पंचायत गोड़मर्रा में आता है. परिवादी एक ऋणी कृषक है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हेतु तैयार गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक ऋणी कृषक का बीमा अनिवार्य रूप से कराया जाना है, जिसके लिए बैंक को ही जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही बीमा योजना की गाइडलाइन के मुताबिक यह स्पष्ट है कि यदि बीमा प्रीमियम काटे जाने के समय किसी प्रकार की गलतियों एवं विलोपनों के कारण किसान लाभ से वंचित रहता है तो संबंधित वित्तीय संस्थाएं ही ऐसी हानियों की भरपाई करेंगे. अनावेदक बैंक द्वारा ही बीमा प्रीमियम गलत ग्राम पंचायत के नाम से काटकर प्रेषित किया गया है, बैंक ने अपनी भूमिका का निर्वहन जिम्मेदारी से नहीं किया. इस वजह से बीमा दावा से वंचित होने की स्थिति बनी, इसलिए बैंक ही अंतिम रूप से जिम्मेदार है. जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक ऑफ बड़ोदा को ही सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार मानते हुए 106000 रुपये का हर्जाना लगाया वहीं अनावेदक बीमा कंपनी को सेवा में निम्नता का जिम्मेदार नहीं मानते हुए उसके विरुद्ध परिवाद खारिज कर दिया.