नई दिल्ली। तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत के जरिए तत्काल हल निकालने की बात कही है. कोर्ट ने केंद्र की बातचीत के प्रस्ताव के काम नहीं करने और फिर से फेल होने की बात कहते हुए किसानों और सरकार द्वारा नामित व्यक्तियों का पैनल बनाकर मुद्दे को हल करने कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि शीतकालीन छुट्टी शुरू होने से पहले कल गुरुवार तक जवाब दें. सरकार और किसानों के बीच पांच दौर की चर्चा के बाद भी किसानों का दिल्ली की सीमा पर धरना समाप्त नहीं हुआ है. सरकार के कृषि कानूनों में सुधार के प्रस्ताव को ठुकराते हुए किसान संगठन कानूनों को पूरी तरह से रद्द किए जाने पर अड़े हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई है कि सरकार चर्चा के लिए राजी थी और है. किसानों के साथ समस्या केवल ‘हां’ और ‘ना’ की बात को लेकर है. अलग-अलग मंत्रियों ने किसानों से चर्चा की है, लेकिन वे (किसान) अपनी कुसी मोड़कर पीठ सामने करके बैठ जाते हैं. सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसा लगता है कि अब कुछ तत्वों ने किसानों के विरोध-प्रदर्शन को अगवा कर लिया है. हालांकि, विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाने वाली सरकार ने यह नहीं बताया वे तत्व कौन से हैं.

मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट बेंच की अगुवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि आपकी चर्चा फिर से फेल होगी, क्योंकि वे राजी नहीं होंगे. आप हमें उन संगठनों का नाम बताइए जो हमारे सामने आ सकती हैं. जल्द ही यह मुद्दा राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा और बातचीत के जरिए हल करना होगा. चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से धरना दे रहे किसान संगठनों को वादी बनाने के साथ उन्हें सुनने की बात कही.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि किसान संगठनों को क्यों पार्टी नहीं बनाया गया और बिना उन्हें सुने कैसे आदेश पारित किया जा सकता है. उन्होंने महाधिवक्ता से याचिकाकर्ता को प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नाम मुहैया कराने को कहा. बता दें कि किसानों के धरना-प्रदर्शन के पक्ष और विपक्ष में सुप्रीम कोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई.