दिल्ली. श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में महाशिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. यहां शिव नवरात्रि का पर्व बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है, इस दौरान हर दिन बाबा महाकाल का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है. पूरे 9 दिन तक महाकाल के दरबार में देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाहोत्सव का उल्लास रहता है.

शैव मतानुसार, महाशिवरात्रि के 9 दिन पहले फाल्गुन कृष्ण पक्ष पंचमी 21 फरवरी 2022 से फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी 1 मार्च 2022 महाशिवरात्रि तक शिव नवरात्रि या महाकाल नवरात्रि का 9 दिन का उत्सव बताया गया है. जिस प्रकार शक्ति की आराधना के लिए देवी नवरात्रि रहती है. ठीस उसी प्रकार भगवान् शिव की साधना के लिए शिव नवरात्रि का विधान बताया गया है.

उज्जैन शक्तिपीठ और शक्तितीर्थ है. यहां महाकाल के साथ देवी हरसिद्धि विराजित हैं. शिव-पार्वती संबंध के कारण शक्ति की तरह शिव की भी नवरात्रि उत्सव की परंपरा है. यहां नौ रात्रि तक विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल नवरात्रि के दौरान लघुरुद्र, महारुद्र्र, अतिरुद्र, रुद्राभिषेक, शिवार्चन, हरिकीर्तन के आयोजन किए जाते हैं. श्री शिव नवरात्रि देश के प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों के अलावा कई शिव मंदिरों में विशेष रूप से मनाई जाती है.

शिव नवरात्रि के अंतर्गत, भस्मारती के बाद प्रातः श्री महाकालेश्वर मंदिर के नैवेद्य कक्ष में भगवान श्री चंद्रमौलीश्वर का पूजन किया जाएगा, उसके पश्चात कोटितीर्थ कुण्ड के समीप स्थापित श्री कोटेश्वर महादेव का अभिषेक और पूजन किया जाएगा. उसके बाद 11 पंडितों द्वारा एकादश-एकादशनी, लघु रुद्र पाठ किया जाता है. गर्भगृह में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर केसर युक्त चंदन के लेपन से भगवान का दूल्हा बनाया जाएगा.

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श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में महाशिवरात्रि पर्व भूतभावन बाबा महाकाल और माता पार्वती के विवाह उत्सव और शिव नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान पूरे नौ दिन तक महाकाल के दरबार में देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाहोत्सव का उल्लास रहता है. भस्म रमाने वाले बाबा महाकाल दूल्हा बनते हैं. उन्हें हल्दी लगाई जाती है और हल्दी और चंदन से ऊबटन कर उनका नित नया मनमोहक श्रृंगार किया जाता है.

मान्यतानुसार, भगवान शिव को पुजन में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है, लेकिन इन 9 दिनों में बाबा महाकाल को नित्य हल्दी, केशर, चन्दन का उबटन, सुगंधित इत्र, ओषधी, फलो के रस आदि से स्नान करवाया जाता है. जिस प्रकार विवाह के दौरान दूल्हे को हल्दी लगाई जाती है. उसी प्रकार भगवान महाकाल को भी हल्दी लगाई जाती है. शिव नवरात्रि महोत्सव के प्रथम दिवस, 21 फरवरी 2022 को भस्म रमाने वाले भूतभावन बाबा महाकाल को दूल्हा बनाया गया है और इसके साथ ही उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि महोत्सव की शुरूआत होती है.

9 दिनों तक चलने वाले इस विवाह उत्सव में शहर सहित देशभर के श्रद्धालु पहुँचते हैं. 9 दिनों तक सांय को केसर व हल्दी से भगवान महाकालेश्वर का अनूठा श्रृंगार किया जाएगा. पुजारी भगवान को हल्दी लगाकर दूल्हा बनाएंगे. भक्तों को 9 दिन तक भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे.

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शिव नवरात्रि महोत्सव 2022 विभिन्न श्रृंगार

21 फरवरी 2022 – श्री महाकालेश्वर भगवान जी को सोला एवं दुपट्टा तथा जलाधारी को मेखला धारण करवाया जाएगा.

22 फरवरी :- श्री पंचमुखी शेषनाग श्रृंगार दर्शन.

23 फरवरी :- श्री घटाटोप श्रृंगार दर्शन.

24 फरवरी :- श्री छबीना श्रृंगार दर्शन.

25 फरवरी :- श्री होल्कर मुखौटा श्रृंगार दर्शन.

26 फरवरी :- श्री मनमहेश स्वरूप श्रृंगार दर्शन.

27 फरवरी :- श्री उमा महेश स्वरूप श्रृंगार दर्शन.

28 फरवरी :- श्री शिव तांडव स्वरूप श्रृंगार दर्शन.

1 मार्च :- महाशिवरात्री विशेष श्रृंगार दर्शन.

2 मार्च :- सप्तधान एवं सेहरा श्रृंगार दर्शन.

श्री महाकालेश्वर भगवान जी को प्रतिदिन कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंडमाल, छ्त्र, आदि वस्त्र और आभूषण पहनाएं जाएंगे. अवंतिकानाथ के दिव्य रूप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त उमड़ते हैं. शिव विवाहोत्सव के लिए मंदिर को वस्त्र, पुष्प और विद्युत रोशनी से दुल्हन की तरह सजाया जाता है.

श्री महाकाल महाराज के दरबार में भगवान महाकाल और माता पार्वती के विवाह उत्सव का उल्लास, शिव नवरात्रि के प्रथम दिवस से बिखरने लगता है. महाशिवरात्रि का पर्व यूं तो हर ज्योतिर्लिंग और शिवालय में मनाया जाता है. लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व खास होता है.