श्रावण के पहले सोमवार को शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु का तांता लगा रहा। लोग अल सुबह नदी किनारे पहुंचे और स्नान कर जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक किए। प्रदेश के प्रसिद्ध शिवालयों में सुबह से ही पूजा-अर्चन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही।

प्रदीप मालवीय, उज्जैन। श्रावण मास का पहला सोमवार को आज सुबह से ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता। उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मन्दिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु देर रात से कतार में लगे रहे। तडके 2.30 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती शुरू हुई जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिए।

भस्मारती के पहले बाबा को जल से नहलाकर महा पंचामृत अभिषेक किया गया। जिसमें दूध, दही, घी, शहद व फलों के रस शामिल थे। अभिषेक के बाद भांग और चन्दन से भोलेनाथ का आकर्षक श्रृंगार कर भगवान को वस्त्र धारण कराए गए और बाबा को भस्म चढाई गई। भस्मिभूत होने के बाद झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े व शंखनाद के साथ बाबा की भस्मार्ती की गई।
निकलेगी बाबा महाकाल की सवारी

श्रावण – भादो मास में सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाले जाने की भी परंपरा है। इसलिए आज शाम को बाबा की सवारी भी निकाली जाएगी। मान्यता है कि प्रजा का हाल जानने के लिए सवारी के रूप में राजा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं। यहां बाबा की सवारी के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु सड़कों के किनारे घंटों इन्तजार करते है और महाकाल की एक झलक पाकर अपने को धन्य मानते हैं।

अनिल सक्सेना, रायसेन। मप्र के रायसेन जिले में प्राचीन शिव मंदिर भोजपुर में आज श्रावण सोमवार को भक्तों की भीड़ उमड़ी। इस दौरान विश्व प्रसिद्द शिवलिंग मंदिर भोजपुर में भक्तो का तांता लगा रहा। भोपाल सहित आसपास के इलाकों से हजारों की संख्या में भक्त शिव की आराधना के लिए पहुंचे।

एक रात में पांडवों ने किया था निर्माण
राजधानी भोपाल से 32 किलो मीटर दूर स्थित भोजेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर मौजूद शिवलिंग दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। भोजपुर और इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई–1055 ई) ने करवाया था। लोग इस मंदिर को अधूरा मंदिर के नाम से भी जानते हैं। रायसेन जिले के भोजपुर गांव में स्थित भोलेनाथ के इस मंदिर के अधूरे रहने के पीछे भी किवंदती है लेकिन इसके वास्‍तविक तथ्‍यों का पता किसी को नहीं है। पौराणिक किवदंतियों की मानें तो कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक रात में पूरा किया जाना था, लेकिन कारीगर यह काम पूरा नहीं कर सके। इसलिए यह मंदिर आज तक अधूरा ही है और इसका फिर से निर्माण नहीं करवाया गया। मंदिर से जुड़े कई सवाल भी अधूरे ही रह गए जिनका जवाब आजतक किसी के पास नहीं है। रायसेन जिले के भोजपुर का मंदिर 11 सदी से 13 वीं सदी की मंदिर वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है।

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