रमेश सिन्हा, पिथौरा. निजी शैक्षणिक संस्था सेंट फ्रांसिस स्कूल के मनमानी के खिलाफ आक्रोशित पालको के शिकायत पर डीईओ, एसडीएम, बीईओ के सयुक्क्त दल ने स्कूल जा कर लगभग साढ़े तीन घण्टे तक जांच की. अधिकारियो के दल ने पालको द्वारा बिंदुवार की गई शिकायत को प्रथम दृष्टया सही पाया तथा प्रबन्धन को समस्या के समाधान का निर्देश देते हुए 10 दिवस के भीतर पालक समिति गठन करने कहा है. बात दे कि निजी स्कूल के आक्रोशित पालको ने विगत दिनों एसडीएम,बीईओ के नाम ज्ञापन सौपा था.
पालको ने अपने शिकायत पत्र में उल्लेख किया था कि प्रबन्धन द्वारा सीबीएससी के मापदंडों के अनुरूप शिक्षक नहीं रखे है. स्कूली बच्चों की फीस में हमेशा ही मनमाना वृद्धि कर दी जाती है. एक्टिविटी फण्ड के नाम से गलत ढंग से राशि ली जाती है. स्कूल में अभी तक पालक समिति नहीं बनाई गई है. छोटे छोटे बच्चो के स्कूली बेग में भारी वजन होता है. जबकि सीबीएससी के मापदंडों के अनुसार स्कूली बेग के वजन के सम्बंध नियम बने हुए है.
संत फ्रांसिस स्कूल की प्रिंसिपल शिसटर जोसीन्ता ने बताया कि पालको के द्वारा शिकायत की गई थी. आज स्कूल के जांच में जिला शिक्षा अधिकारी, पिथौरा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व व ब्लांक शिक्षा अधिकारी जांच में पहुंचे थे जांच की गई है. उन्होंने कहा की पालकों द्वारा जो कमीया बताई गई है उसे दूर किया जायेगा. प्रिंसिपल ने आश्वासन दिया है कि आगे पालक समिति बनाकर सारी व्यवस्था को सुधार लिया जावेगा अच्छे शिक्षकों की भर्ती भी जल्द की जायेगी.
जिला शिक्षा अधिकारी बीएल कुर्रे ने बताया कि पालको के द्वारा लगातार स्कूल प्रबंधन के खिलाफ शिकायते मिल रही थी. स्कुल प्रबंधन ने बिना पालक समिति का गठन किये स्कूल की फीस में बढ़ोत्तरी कर दी थी जिसके बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पालको ने 12 बिन्दु में शिकायत की थी. प्रथम दृष्टया शिकायत सही पाई गई. स्कूल प्रबंधन को जब तक पालक समिति नहीं बनती तब तक स्कूल की फीस नहीं पढाने के लिए कहा गया है. शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा की यदि स्कूल प्रबंधन द्वारा नियमों को पालन नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जावेगी.
बता दे कि उक्त शैक्षणिक संस्था के विरुद्ध पालको ने मुख्यमंत्री व कलेक्टर महासमुंद शिकायत की थी. कार्यवाही नहीं होने पर आक्रोशित पालको ने 7 दिन का समय देते हुए आंदोलन की चेतावनी दी गई थी. पालको का आक्रोश इसलिए भी बढ़ता जा रहा है, क्योंकि प्रबन्धन को शिकायत की कोई परवाह नहीं है बल्कि जायज मांगों को अनदेखा किया जा रहा है. प्राथमिक कक्षाओं के किताबों में प्रकाशकों को प्रतिवर्ष जानबूझकर बदल दिया जाता है. जिससे पुरानी किताबों का इस्तेमाल स्कूली बच्चे ना कर सकें. जिन किताबों को यहां पर चलाया जाता है. उसी स्तर की किताबें खुले बाजार में कम दरों पर मिलती हैं, जबकि यहां पर उन्हें किताबों को कई गुना महंगे दरों में बिक्री कराया जाता है.
पालको की चेतावनी के बाद सोमवार को अधिकारियो की टीम ने स्कूल में दबिश दी. पालको के समक्ष जांच करने पर शिकायतों को सही पाया व तत्काल आवश्यक निर्देश भी गये तथा मामले की जांच के लिए एक हाईपावर कमिटी के गठन करने की भी बात अधिकारियों द्वारा कही गई.