शैलेंद्र पाठक, बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने 11 संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर फैसला एक हफ्ते के लिए टल गया है. इस मसले पर लगातार दूसरे दिन सबको फैसले का इंतज़ार था लेकिन शाम को इसे एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया. इस फैसले को लेकर सुबह से गहमागहमी थी. सुबह से वकील और पत्रकार कोर्ट में मौजूद थे. इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई की मांग की गई लेकिन महाधिवक्ता ने कहा कि वे मौजूद नहीं रहेंगे लिहाज़ा कोर्ट ने सुनवाई अगले हफ्ते रखी है.

संसदीय सचिवों की ओर से करीब डेढ़ दर्जन से ज़्यादा वकीलों की फौज थी. जबकि मोहम्मद अकबर की तरफ से एक वकील मौजूद थे.

इससे पहले इस मसले पर 23 तारीख को अंतिम सुनवाई होनी थी लेकिन इसका नंबर न आने से इसे 24 तक के लिए टाल दिया गया था. इससे पहले 1 अगस्त को अपने फैसले में हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों के काम करने पर रोक लगा दी थी. इस मामले में कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे ने याचिका लगाई है.

राज्य सरकार का कहना है कि संसदीय सचिव लाभ का पद नहीं है. जबकि याचिकार्ताओं ने कहना है कि संसदीय सचिवों को राज्य मंत्री का दर्जा हासिल है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जारी आदेशों के बतौर सबूत याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर ने पेश किया है.

इससे पहले अंतिम सुनवाई से पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की ओर से आवेदन दाखिल किया गया था कि उन्हें व्यक्तिगत पक्षकार न बनाया जाए क्योंकि उन्होंने संसदीय सचिवों की नियुक्ति मुख्यमंत्री के तौर पर की थी, व्यक्तिगत तौर पर नहीं.

ये 11 संसदीय सचिव हैं मुश्किल में

अंबेश जांगड़े

लाभचंद बाफना

लखन देवांगन

मोतीराम चंद्रवंशी

राजू सिंह क्षत्री

रुप कुमारी चौधरी

गोवर्धन मांझी

चंपादेवी पावले

सुनिति सत्यानंद राठिया

तोखन साहू

शिव शंकर पैकरा