तिरुपति. आंध्र प्रदेश के तिरुमाला स्थित भगवान वेंकटेश्वर के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि इतिहास में पहली बार भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर को लगातार 6 दिन के लिए बंद किया जा रहा है. जी हां, जानकारी के मुताबिक 9 अगस्त की शाम 6 बजे से लेकर 17 अगस्त की सुबह 6 बजे तक यह प्रसिद्ध मंदिर बंद रहेगा. मंदिर प्रशासन (टीटीडी) ने यह फैसला रविवार को हुई एक विशेष बैठक में लिया है. मंदिर प्रशासन के इस फैसले से तीर्थयात्रियों को थोड़ी परेशानी हो सकती है.
बताया जा रहा है कि ऐसा फैसला महासंप्रोक्षम अनुष्ठान करने के लिए लिया गया है जो कि हर 12 साल बाद आता है. जानकारी के मुताबिक इस अनुष्ठान के दौरान केवल पुजारियों के मंदिर में प्रवेश की अनुमति होगी जो मंदिर की सफाई, शुद्धिकरण और मरम्मत का काम करेंगे. आपको बता दें कि यह मंदिर पहली बार इतने लंबे समय (6 दिन) के लिए बंद किया जा रहा है. पिछले अवसरों को याद किया जाए तो हर 12 साल पर होने वाले इस अनुष्ठान के दौरान मंदिर खुला रहता था लेकिन कुछ घंटों के लिए मंदिर में दर्शनार्थियों का प्रवेश वर्जित कर दिया जाता था. बताया जा रहा है कि पहले ऐसा इसलिए हो पाता था क्योंकि उन दिनों मंदिर में इस कदर भक्तों की भीड़ नहीं हुआ करती थी. ताजा हालात यह हैं कि अगर एक दिन में आए भक्तों का अंदाजा लगाया जाए तो यह संख्या औसतन एक लाख के पार ही होगी.
मंदिर बंद करने की यह है बड़ी वजह
मंदिर बंद करने की दूसरी वजह बताई गई है कि महीने के दूसरे शनिवार, रविवार और स्वतंत्रता दिवस होने की वजह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है. ऐसे में इस दौरान मंदिर में प्रतिबंधित दर्शन की व्यवस्था लागू करना असंभव जैसा काम होगा. जिस वजह से मंदिर प्रशासन ने पूरे सप्ताह के लिए मंदिर को बंद करने का फैसला लिया है.
9 अगस्त से पहाड़ी पर प्रवेश हो जाएगा बंद
मंदिर प्रशासन के मुताबिक तीर्थयात्रियों को 9 अगस्त से ही पहाड़ियों पर आने से रोक दिया जाएगा. जिसके बाद परिसर में कतार में लगी भक्तों की भीड़ को साफ करने में एक पूरा दिन लग जाएगा. उस हिसाब से देखा जाए तो 10 अगस्त की रात तक, पूरा तिरुमाला तीर्थयात्रियों से खाली हो जाएगा.
मंदिर प्रशासन ने कहा- तीर्थयात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए लिया फैसला
टीटीडी के अध्यक्ष पुट्टा सुधाकर यादव ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि तीर्थयात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए मंदिर को बंद करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा, “जैसा कि मंदिर के अंदर वैदिक अनुष्ठान किया जाना है, उस समय तीर्थयात्रियों को एक संक्षिप्त अवधि के लिए अनुमति देना संभव नहीं है.”