पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। वर्ष 2020 के आने से पहले ही कोरोना ने दस्तक देना शुरू कर दिया था, शुरुवाती दौर में आम लोगों को आर्थिक तंगी का आभास नहीं हुआ, पर समय बीतने के साथ ही रोजगार का संकट 2020 के आते ही गरीब परिवार के लिए चुनौती बन गया. परिस्थिति से निपटना राज्य सरकार के लिए भी चुनौती था. ऐसे विकट समय में गरियाबंद वन मण्डल ने वन ग्राम के रहवासियों के लिए वरदान साबित हुआ. विभाग के मुखिया डीएफओ मयंक अग्रवाल के कुशल नेतृत्व में गरियाबन्द वन मण्डल के 9 परिक्षेत्र में आने वाले 300 से भी ज्यादा गांव में डेढ़ लाख परिवार को 50 करोड़ रुपये का भुगतान कर वन वासियों को आर्थिक सम्बलता प्रदान किया

वनोपज संग्रहण में प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया

कोरोना संक्रमण का खतरा अप्रैल माह में अपने सबाब पर था. संग्रहण के मामले 120 फीसदी से भी ज्यादा संग्रहण लक्ष्य प्राप्त करने वाले बस्तर क्षेत्र ने हाथ खड़ा कर दिया. ऐसे में डीएफओ मयंक अग्रवाल ने सतत निगरानी कर हरे सोने का संग्रहण कराया,सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 60712 संग्राहक परिवार से 58435 मानक बोरा पत्ता संग्रहण किया, जो कि लक्ष्य का 70 फीसदी आंकड़ा को छू लिया. इस आंकड़े ने प्रदेश में तेंदूपत्ता खरीदी के मामले में गरियबन्द को दूसरे नम्बर के दर्जे पर खड़े कर दिया. संग्राहकों को 23 करोड़ 37 लाख का भुगतान किया गया.

150 महिला समूहों को साल भर का रोजगार

पहले वनोपज बिचौलिये के हाथों में ओने पौने दाम पर चला जाता था नई सरकार ने वन धन की नई योजना लागू किया. इसके बेहतर क्रियान्वयन ने वन वासियों के लिए नई उम्मीद लेकर आया. नतीजा यह रहा कि 218 ग्रामीण केंद्र व 28 हाट बाजारों के माध्यम से वन विभाग ने महज 3 माह में 10103 परिवार से 30 प्रकार के वनोपज खरीदी कर 4 करोड़ 50 लाख का सीधी भुगतान किया. इतना ही नहीं मरौदा में औषधि प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित किया.150 महिला समूहों को जोड़ा गया जो विभिन्न प्रकार के औषधि निर्माण में लगें है. साल भर का रोज़गार भी सुनिश्चित हुआ. योजना की सफलता को देखते हुए वर्ष 2021 में 11.12 करोड़ रुपये का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है.

784 छात्रों को मिली आर्थिक मदद

जिले में यह पहली बार सम्भव हो सका कि वनोपज संग्राहक परिवार में पढ़ने वाले 784 छात्रों को 54 लाख 30 हजार रुपये की छात्रवृत्ति का भुगतान किया गया. 54780 परिवार वालों को लंबित 2018 की बोनस राशि 18.89 करोड़ का भुगतान किया गया.

मयंक अग्रवाल डीएफओ का कहना है कि कोरोना काल में यह सब कर पाना एक चेलेंज था,टीम वर्क से सम्भव हो सका. समय पर हितग्राही मूलक योजनाओं का भुगतान,जरूरत मन्दों के काम आए इस लक्ष्य को लेकर जो बेस्ट हो सका हमारी टीम ने किया.