रायपुर. अब छत्तीसगढ़ में भी पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व जनप्रतिनिधियों के सरकारी आवास को खाली कराने की मांग उठने लगी है. आम आदमी पार्टी ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह एक पत्र भी लिखा है. जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से पूर्व मुख्यमंत्री सहित पूर्व जनप्रतिनिधियों के सरकारी आवास को खाली कराने की मांग की है.

आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक डॉ संकेत ठाकुर ने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को पत्र लिखकर पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली कराने को कहा है। इसके लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका 864/2016 के मामले में दिनांक 7 मई 2018 को पारित आदेश का हवाला दिया है. इसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व अविभाजित मध्यपदेश के मुख्यमंत्री रहे नेताओं  के बंगले खाली कराने को कहा है.

पत्र में संकेत ठाकुर ने लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने रिट याचिका क्रमांक (सिविल) 864/2016 में अपने दिनांक 7 मई 2018 के आदेश में पैरा 38 व 39 में स्पष्ट रूप से कहा है कि “38… प्राकृतिक संसाधन, सार्वजनिक जमीन और सरकारी बंगला/सरकारी आवास, सार्वजनिक संपत्ति है और जिस पर कि देश की जनता का अधिकार है.मुख्यमंत्री जब अपना पद छोड़ देता है, तब वह किसी भी सामान्य नागरिक के बराबर होता है.”

“39…जब कोई ऐसा व्यक्ति अपना सार्वजनिक पद छोड़ देता है, उसके बाद उसको सामान्य व्यक्ति से भेद नहीं किया जा सकता है. उसके द्वारा धारित सार्वजनिक पद इतिहास का विषय बन जाता है और इसलिए उसके पूर्व के सार्वजनिक पद पर होने के कारण उसे कोई विशेष वर्ग का व्यक्ति जिसे विशेष सुविधाएं प्राप्त हो, ऐसा मानने का कोई आधार नहीं बनता है”

उन्होंने लिखा है कि उपरोक्त आदेश के द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास रखने के कानून को अवैध ठहराया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 141 के अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिया गया, कोई भी आदेश/प्रतिपादित कानून संपूर्ण भारत में बाध्यकारी होता है.

साथ ही उन्होंने कहा कि  बतौर पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास का आवंटन किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेश के प्रकाश में इन पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा सरकारी आवास धारण करना अब अवैध हो जाता है.

अत: आपसे अनुरोध है उचित प्रक्रिया द्वारा इन पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा धारित आवास को तत्काल खाली करवाने का कष्ट करें. इसके अलावा जिन पूर्व जनप्रतिनिधियों अथवा अन्य को सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं, उन्हें भी खाली कराने का कष्ट करें।