रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भूपेश बघेल के बचट-2020 को निराशाजनक करार दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य का आर्थिक सर्वेक्षण यह बताता है की छत्तीसगढ़ की स्थिति में इस सरकार के दूसरे बजट आते ही कितनी गिरावट आई है. 3 वर्षों में जीएसटीपी पिछले 3 वर्षों में 8.54%, 5.4% और 6 प्रतिशत रहा है. 2019-20 में जीएसडीपी 5.32 अनुमानित है और जो प्रदेश के सेहत के लिए उचित नहीं लगता है. यदि इस पूरे कृषि क्षेत्र में 2018-19 की तुलना में मुख्यमंत्री ने जो पेश किया है यह आश्चर्य और दुख का विषय है की कृषि के क्षेत्र में फोकस करने की बात मुख्यमंत्री कहते हैं.

इस 1 साल के कार्यकाल में कृषि विकास दर 2018-19 में 3.9% था और वह घटकर 3.3 प्रतिशत पर आ गया है. बड़े पीठ थपथपा रहे थे बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे. एग्रीकल्चर के सेक्टर में हमने फोकस किया है, नरवा, गरवा, घुरवा और बारी पर फोकस किया है. 14 महीने का रिजल्ट सामने आया तो जिसमें कृषि विकास दर 3.3 हो गया घट गया. औद्योगिक क्षेत्र में विकास दर 5.36% था वो गिरकर 4.9? प्रतिशत पर आ गया है. कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में भारी गिरावट आई है.

उन्होंने कहा कि अब आप आश्चर्य करेंगे की कृषि सेक्टर का योगदान छत्तीसगढ़ के जीएसडीपी में घटा है. यह अजीब बात है कि आप वाहवाही करते हैं, लेकिन आंकड़े आपके झूठ को सामने लाकर रखते हैं. कृषि क्षेत्र में इन्होंने कमर तोड़ दिया है.  2018-19 में कृषि क्षेत्र में 17.21 प्रतिशत था. वो अब 16.1 प्रतिशत हो गया है. कृषि क्षेत्र में उसने कमर तोड़ दी है. औद्योगिक क्षेत्र में जो इन्होंने 2018-19 में 47.37 फीसदी था वो घटकर 46.19 प्रतिशत हो गया.  इससे ये पता चलता है कि इनसे न कृषि सुधर रहा है न उद्योग संभल रहा है. प्रति व्यक्ति आय में जो 2018-19 में 60.88 प्रतिशत से घिर कर 6.35 प्रतिशत हो चुका है. ये स्थिति इस राज्य के 14 महीने में हो गई है. औद्योगिक क्षेत्र में भी शेयर घटा है. इनसे ना तो कृषि संभल रहा है ना ही उद्योग संभल रहा है.

पूरा बजट एक लाख करोड़ का हो गया है, मगर इस बजट को जितना दिशाहीन मैंने देखा है, जिसमें न किसी महत्वपूर्ण योजनाओं का जिक्र आया है. न कोई नई सड़कों के लिए नेशनल हाइवे के साथ स्टेट हाइवे के निर्माण की बात हुई है, क्या रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के माध्यम से कुछ नई परियोजना लेने का काम हुआ है. इसमें सिंचाई की बड़ी परियोजना लेने की बात नहीं हुई है. आश्चर्यजनक तरीके से 13 से 32 लाख करने की बात कही गई है. ये सब मजाक कर रहे हैं. प्रति वर्ष .86 प्रतिशत ग्रोथ है कृषि में, पिछले 15 सालों में. 068 प्रतिशत बढ़ेगा तो साल में कितना बढ़ेगा? दो से तीन प्रतिशत बढ़ेगा. सरकार 100 प्रतिशत ग्रोथ की बात कर रही है. 13 लाख हेक्टेयर से 32 लाख हेक्टेयर बिना किसी परियोजना के बढ़ने की बात कही जा रही है. ज्यादा से ज्यादा 15 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी. 32 लाख की परिकल्पना भूल जाएं. इतना ग्रोथ हो ही नहीं सकता. क्योंकि ग्रोथ .68 प्रतिशत है. कोई नई योजना नहीं है, तो ग्रोथ कहा से निकल कर आएगा.

नरवा, गरवा घुरवा और बारी के लिए पैसा नहीं

सरकार के पास नरवा, गरवा घुरवा और बारी इसके लिए पैसा नहीं है. सरकार ने केवल बड़ी-बड़ी बाते कही है. कहा गया कि नरेगा से हम काम कर देंगे. अभी 20 हजार गांवों में गौठान बनाना है. उसके पानी, भूसा, पैरे की व्यवस्था करना पड़ेगा. क्या गाय को बिना पानी के पैरा खिलाकर मार डालोगे, अभी नल कूंप खोदने के लिए पैसे नहीं दे रहे. घुरवा में लोग अपने स्वप्रेरणा से काम करेंगे. घुरवा तो छत्तीसगढ़ का एक-एक आदमी बनाता है. आपका योगदान क्या है. कोई फंड होगा तो बताए. ये सारा बजट घोर निराशाजनक है. और ये विकास को पीछे ले जाने वाला है. इस बजट में मुझे कोई बड़ी उपलब्धि नहीं दिखी.