रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिए गए बयानों पर पलटवार किया है. जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सीएम भूपेश बघेल के बयान पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है. छत्तीसगढ़ में जनसंख्या नियंत्रण का कार्यक्रम पूरी तरह फेल है. सरकार की तरफ से किसी तरह की गतिविधियां, किसी तरह का कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है. लोगों को प्रेरित करना चाहिए. जबरदस्ती किसी के साथ कुछ नहीं होना चाहिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए. आज के समय में प्रेरित करने का काम बंद हो गया है. जनसंख्या बेतहाशा बढ़ती है, तो देश का विकास रुक जाता है. जनसंख्या पर नियंत्रण करने की जरूरत है. नसबंदी कार्यक्रम एक अलग कार्यक्रम है. देश में विकास का फायदा सबको मिले, परिवार सुखी रहे इसलिए जनसंख्या पर नियंत्रण सबसे बड़ी जरूरत है.
बीजेपी ने किया नसबंदी का विरोध- भूपेश
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि देश में कभी नारा दिया गया हम दो-हमारे दो, अब नारा है हम दो-हमारे तीन. असंयमित परिवार जो बढ़ रहे हैं, उन पर नियंत्रण की जरूरत है. परिवार तभी सुखी रह सकता है, जब नियंत्रित संख्या में सदस्य होंगे. जिन परिवारों में अनियंत्रित संख्या में सदस्य है, उस परिवार का विकास रुक जाता है. बता दें कि सीएम भूपेश ने कहा था कि ‘इन्हीं लोगों ने 1970 के दशक में नसबंदी का विरोध किया था. विपक्षी दलों ने इसे तब मुद्दा बनाया था और वह कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ पाया था. यदि नसबंदी का वह कार्यक्रम चला होता तो फिर आज इतनी अधिक आबादी न होती.’
महाराज भी कभी कांग्रेस पार्टी के रहे हैं- बृजमोहन
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बिकाऊ कहे जाने वाले सीएम भूपेश के बयान पर बृहमोहन अग्रवाल ने टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया का लोगो कांग्रेस पार्टी का बनाया गया है. महाराज भी कांग्रेस पार्टी के रहे हैं. कांग्रेस को यह विचार करने की जरूरत है कि पूरे देश में धीरे-धीरे कांग्रेस समाप्त क्यों हो रही है ? पंजाब में क्या हो रहा है ? राजस्थान में क्या हो रहा है ? छत्तीसगढ़ में भी धीरे-धीरे वैसी स्थिति बनती जा रही है. कांग्रेस का अपनी ही पार्टी पर नियंत्रण समाप्त हो गया है. इसलिए कुएं के मेंढक बनकर उछल कूद करने से फायदा नहीं होगा. नदी या समुद्र के तैराक बनिए तब कोई कीमत होगी. कुएं के मेंढक की कोई कीमत नहीं होगी.
सत्ता बंपर बहुमत का कर रही दुरुपयोग
जेसीसी कांग्रेस संकट पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सत्ता बंपर बहुमत का दुरुपयोग कर रही है. किसी राजनीतिक दल को रोकने के लिए ऐसा किया जाए, यह अच्छी बात नहीं है. हमने मरवाही चुनाव में ये देखा है. कैसे राजनीतिक दल को प्रचार प्रसार से रोका गया. कैसे नामांकन को निरस्त करने के लिए षडयंत्र किया गया. जोगी कांग्रेस का विभाजन होगा तो छत्तीसगढ़ की सत्ता पार्टी का होगा.
संकट में आते ही राज्यपाल से होती है मुलाकात
राज्यपाल से सीएम भूपेश के मुलाकात पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जब सरकार या मुख्यमंत्री संकट में आते हैं, तो राज्यपाल से मुलाकात होती है. कम से कम पंद्रह दिन या महीने भर में मुख्यमंत्री को राज्यपाल से मुलाकात करना चाहिए. इनको पूरे प्रदेश की गतिविधियों की जानकारी देनी चाहिए. यह दुर्भाग्यजनक है कि राज्यपाल के पद की भी अवमानना ये सरकार कर रही है. सरकार पर कोई संकट होगा, इसलिए मिलने गए थे.
मुख्यमंत्री के बंगले से होते हैं तबादले
तबादलों पर प्रतिबंध पर को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जिस आधार पर तबादले हो रहे हैं, यह दुखदाई है. विभागों को तबादला करने का अधिकार नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री के बंगले से तबादले हो जाते हैं. तबादले लेनदेन पर नहीं होने चाहिए. तबादलों के लिए नीति बनानी चाहिए. तबादलों पर पूर्णत प्रतिबंध नहीं होना चाहिए. सीमित मात्रा में तबादले जरूरी है. बहुतों की पारिवारिक जरूरत होती है. माता-पिता बीमार है, पति-पत्नी अलग रह रहे हैं. मानवीय आधार पर प्रतिबंध नहीं होने चाहिए.
ढाई साल में बढ़ी नक्सल गतिविधियां
नक्सलियों के साथ सरकार की सिपैंथी पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पिछले ढाई सालों में नक्सल गतिविधियां छत्तीसगढ़ में बढ़ रही है. बीजेपी के अंतिम कार्यकाल में नक्सल गतिविधियां सिर्फ बार्डर तक थी. अब प्रदेश के मध्य में यह गतिविधियां होर ही है. कांग्रेस सरकार बनने के बाद नक्सलियों ने जिंदाबाद के नारे लगाए थे. कहां था हमारी सरकार बन गई है. नक्सलियों के प्रति सिंपैथी की वजह से वारदात बढ़ी है.
अपने प्रदेश नहीं संभाल पा रहे भूपेश
नागपुर में महंगाई पर सीएम भूपेश की प्रेस कांफ्रेंस को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि अपने प्रदेश को संभाल नहीं पा रहे, दूसरे प्रदेशों में जाकर लंबी चौड़ी बात कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में महंगाई कम करने के लिए कदम उठाए. जब राज्य बना था तब पेट्रोल डीजल से 180 करोड़ मिलते थे, आज छह सौ करोड़ मिल रहे हैं. महंगाई की चिंता यदि है तो राज्य में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम क्यों नहीं करते. ऊपर से सेस लगा रहे हैं. पूरे देश की बात करेंगे, लेकिन अपने प्रदेश की बात नहीं करते. बीजेपी ने अपने कार्यकाल में पांच रुपए की कमी की थी, आज सरकार की स्थिति है कि कम से कम 25 रुपये की कटौती कर सकते हैं.
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