मोहाली। पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता तोता सिंह का निधन हो गया है. इससे राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर है. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने मोहाली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे 81 वर्ष के थे. तोता सिंह के निधन पर पंजाब के सभी दलों ने शोक जताया है. शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि वरिष्ठ अकाली नेता जत्थेदार तोता सिंह जी के निधन के बारे में जानकर गहरा दुःख हुआ. जत्थेदार साहब मेरे लिए पिता तुल्य थे और हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत थे.

निमोनिया से पीड़ित थे तोता सिंह

पंजाब के पूर्व कृषि मंत्री तोता सिंह एसजीपीसी (सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी) के वर्तमान सदस्य थे. वे निमोनिया से पीड़ित थे, जिससे उनके फेफड़े संक्रमित हो गए थे. उनका पिछले कुछ महीनों से एक चिकित्सा विशेषज्ञ की देखरेख में इलाज चल रहा था. देहांत के बाद मोगा में उनके पैतृक गांव दीदारे में शोक की लहर है. शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल, वरिष्ठ अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा और अन्य ने उनके निधन पर दुख जाहिर किया है.

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तोता सिंह का राजनीतिक सफर

तोता सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1960 से की थी. 1960 में उन्होंने पैतृक गांव दीदारे वाला के सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत गए. 1969 में वे फिरोजपुर में अकाली दल के जिलाध्यक्ष चुने गए. 17 साल तक उन्होंने जिला अध्यक्ष का काम संभाला. 1978 में उन्हें अकाली दल की केंद्रीय कार्य समिति के सदस्य के रूप में चुना गया. 1979 में वह SGPC का सदस्य चुने गए. उन्हें शिक्षा समिति का वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रमुख बनाया गया. 17 साल तक इस पद पर रहे. इस बीच 1985 में जब सुरजीत सिंह बरनाला मुख्यमंत्री बने, तो उन्हें पंजाब मंडी बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया. 1989 में सुरजीत सिंह बरनाला को तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया, तो तोता सिंह को 2 साल से अधिक समय तक राज्य में पार्टी की कमान सौंपी गई थी.

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कृषि मंत्री का भी पद संभाला तोता सिंह ने

तोता सिंह ने 1997 में मोगा विधानसभा सीट से विधायक पद के लिए चुनाव लड़ा और विजयी रहे. वे शिक्षा मंत्री बनाए गए. 2003 में वे फिर विधानसभा चुनाव जीते. हालांकि 2007 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने एक बार फिर 2012 में वापसी की और विजयी रहे. प्रकाश सिंह बादल के मुख्यमंत्रित्व काल में उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया. अपने ऊपर लगे सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आरोपों के बाद उन्होंने 5 मई 2012 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. तोता सिंह पिछले दो विधानसभा चुनावों 2017 और 2022 में हार गए.

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