कुमार इंदर, जबलपुर। हमेशा अपने कारनामों के कारण सुर्खियों में रहने वाला जबलपुर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (Jabalpur Medical Science University) एक बार फिर सुर्खियों में है। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में बड़ा गड़बड़ झाला सामने आया है। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और रजिस्ट्रार ने पैसे लेकर 13 छात्रों को पास किया था। पैसे देकर पास किए गए सभी छात्र एनआरआई कोटे से भी MBBS, MD और BDS के छात्र हैं। जस्टिस केके त्रिवेदी (Justice KK Trivedi) की 5 सदस्यीय कमेटी में छात्रों से पैसे लेकर पास करने का खुलासा हुआ है। बड़ी बात यह है कि यूनिवर्सिटी में साल 2015 से ही पास-फेल का खेल चल रहा है।

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कमेटी ने जांच में खुलासा किया है कि पुनर्मूल्यांकन के जरिए कई छात्रों को पास किया है। जबकि यूनिवर्सिटी के अध्यादेश में स्पेशल री-वैल्यूएशन का नियम ही नहीं है। बावजूद इसके नियम को ताक पर छात्रों को पास किया गया। साल 2015 से ही यूनिवर्सिटी में पास-फेल का खेल चल रहा है। पूर्व कुलपति टीएन दुबे (Jabalpur Medical Science University former vice-chancellor TN Dubey) भी इस खेल में शामिल है। पूर्व रजिस्ट्रार और एग्जाम कंट्रोलर ने मिलकर पास-फेल करने का पूरा खेल रचा था।

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जानिए क्या है पूरा मामला

जबलपुर निवासी अंकिता अग्रवाल, अरविंद मिश्रा व अन्य की ओर से जनहित याचिकाएं दायर की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अमिताभ गुप्ता व आरएन तिवारी ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर छात्रों को पास कराने के लिए रिश्वत ली गईस है। पास कराने के लिए छात्रों से आनलाइन रकम ली गई। परीक्षा का काम देख रही माइंड लाजिस्टिक कंपनी ने भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। परीक्षा कराने वाली कंपनी को ई-मेल भेजकर नंबर बढ़वाए गए। घोटाले को उजागर करने वाले अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया।मामले की गत सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच कराने के निर्देश दिए थे।

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14 अक्टूबर 2021 को कमेटी का गठन किया गया था

14 अक्टूबर, 2021 को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति केके त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने जांच के बाद 24 जून को सीलबंद लिफाफे में यह रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कमेटी में सायबर क्राइम के एडीजी योगेश देशमुख, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सुनील कुमार गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट एमपीएसईडीसी विरल त्रिपाठी व इंजीनियर टेस्टिंग एएपीएसईडीसी प्रियंक सोनी शामिल हैं।

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