चंडीगढ़। पंजाब के प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान स्कीम के तहत मुफ्त इलाज मिलना बंद हो गया था. लेकिन अब फिर से पंजाब सरकार और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच सहमति बन गई है. जिसके बाद फिर से पंजाब में आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के तहत फ्री इलाज मिलना शुरू हो गया है. दरअसल पंजाब सरकार द्वारा 6 महीने से प्रदेश के 700 से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों का करोड़ों रुपए से अधिक का भुगतान नहीं किया गया है. IMA ने चेतावनी दी थी कि जब तक सरकार बकाया 250 करोड़ का भुगतान नहीं करती, तब तक वह मुफ्त इलाज नहीं करेंगे. इसे लेकर 18 मई को स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पदाधिकारियों से मीटिंग की. जिसमें भरोसा दिया गया कि सरकार जल्द ही प्राइवेट अस्पतालों का बकाया 250 करोड़ रुपए अदा करेगी.

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पंजाब सरकार और IMA के बीच बनी सहमति

इधर इस पर सहमति बनने के बाद IMA पंजाब चैप्टर के प्रधान डॉ परमजीत सिंह मान ने कहा कि आज से प्राइवेट अस्पतालों में स्कीम के तहत इलाज शुरू कर दिया गया है. बता दें कि इस स्कीम के बंद कर दिए जाने से राज्य के करीब 40 लाख कार्डधारकों को नुकसान हो रहा था. गौरतलब है कि पंजाब में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना के तहत करीब 800 प्राइवेट अस्पतालों को मान्यता मिली है. इस योजना के तहत कोई भी कार्डधारक 5 लाख तक का कैशलेस इलाज करवा सकता है. इलाज का पैसा सीधे अस्पताल को अदा किया जाता है. हालांकि पिछले कुछ समय से प्राइवेट अस्पतालों को पेमेंट नहीं मिली. जिसके बाद जालंधर का 23 करोड़, अमृतसर का 10 करोड़ से ज्यादा, लुधियाना 5 करोड़ से ज्यादा जबकि बठिंडा का भी 11 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिल पेंडिंग हो गया. जिसके बाद प्राइवेट अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया था.

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20 अगस्त 2019 को शुरू हुई थी आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना

पंजाब के सेहत मंत्री डॉ विजय सिंगला ने कहा कि पिछली सरकारों के फैसले और टेक्निकल एरर की वजह से इंश्योरेंस कंपनियों के साथ मतभेद हो गए थे. इसलिए पेमेंट डिले हुई थी, लेकिन अब इसे जल्द ही जारी करवा दिया जाएगा. पंजाब में 20 अगस्त 2019 को आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना का शुभारंभ किया गया था. उस समय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह थे. तत्कालीन पंजाब सरकार ने जरूरतमंद परिवारों को 5 लाख तक की मेडिकल सुविधा निःशुल्क मुहैया करवाने के उद्देश्य से योजना शुरू की थी. इसमें होने वाला खर्च केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा 60:40 के अनुपात में वहन किया जाता है.

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