चंडीगढ़, पंजाब। मंगलवार 17 मई से किसान यूनियनों के नेता किसानों के साथ चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर बैठे हुए थे. दरअसल गेहूं पर बोनस देने और 10 जून से धान की रोपाई करने की अनुमति देने समेत अन्य मांगों को लेकर पंजाब के कई किसान यूनियन विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे. आज मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था. किसानों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत की गई. ये मीटिंग करीब 2 घंटे तक चली. अब बताया जा रहा है कि भगवंत मान सरकार ने किसानों की कुछ मांगों को मान लिया है. यह मीटिंग चडीगढ़ स्थित सीएम हाउस में हुई. वहीं आज पंजाब कैबिनेट की बैठक सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में हुई. जिसमें धान की सीधी बुआई पर 1500 रुपए प्रति एकड़ की आर्थिक मदद दी जाएगी.

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चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर बैठे थे किसान

बता दें कि किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और पैदल मंगलवार को चंडीगढ़ कूच करने वाले थे, लेकिन उन्हें पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया था. जिसके बाद वे मोहाली-चंडीगढ़ बॉर्डर पर ही बैठ गए थे. उन्होंने कहा था कि अगर सीएम भगवंत मान ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे मोहाली-चंडीगढ़ पर ही अपना अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे और ये आंदोलन दिल्ली बॉर्डर पर एक साल तक चले आंदोलन की तरह ही होगा.

दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति

बैठक के बाद बताया जा रहा है कि सरकार और किसानों दोनों ही पक्षों के बीच सहमति बन गई है. जल्द ही किसानों का मोहाली में चल रहा धरना खत्म हो जाएगा. किसान नेताओं का कहना है कि 13 में से कुछ मांगों पर सहमति बन चुकी है. गेहूं पर प्रति एकड़ 500 रुपए बोनस को लेकर पंजाब सरकार ने केंद्र से बातचीत करने का भरोसा दिया है. अब किन-किन मांगों पर सहमति बनी है, इस बात की जानकारी पंजाब के पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल देंगे.

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किसानों ने रखी कई मांगें

गौरतलब है कि किसानों ने कई मांगें पंजाब सरकार के सामने रखी थीं. जिसमें चिप वाले बिजली के मीटर लगाने का फैसला रद्द करने की मांग थी. किसानों ने कहा था कि मक्की और मूंग को MSP पर खरीदने के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया जाए. साथ ही बासमती का भाव 4500 रुपए प्रति क्विंटल करने का नोटिफिकेशन जारी करने की मांग भी किसानों ने रखी थी. इसके अलावा 18 जून के बदले 10 जून से धान की बुआई की अनुमति देने की भी मांग की गई थी.

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सीएम भगवंत मान ने पहले किसानों के आंदोलन को बताया था अनावश्यक

इससे पहले CM भगवंत मान किसानों के आंदोलन पर भड़क उठे थे. उन्होंने चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को अनचाहा और अनावश्यक करार दे दिया था. भगवंत मान ने कहा था कि किसानों को आंदोलन की राह पकड़ने के बदले पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे कम से कम एक साल का वक्त तो दो. उन्होंने कहा था कि धान की रोपाई के लिए जोनवाइज कार्यक्रम से किसानों के हितों को नुकसान नहीं होगा. इससे राज्य में भूमिगत पानी को बचाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं और उनकी जरूरतें जानता हूं.

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