संदीप सिंह, लोरमी। बैगा आदिवासियों के मसीहा, दिल्ली साहब, गाँधी बबा, देवात्मा और न जाने ऐसे कितने नामों पुकारने जाने वाले प्रो. प्रभुदत्त खेड़ा को आज उनके बैगा आदिवासियों, उनके स्कूली बच्चों ने अंतिम विदाई दे दी. आज लमनी गाँव में प्रो. खेड़ा का अंतिम संस्कार हो गया. उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में अचानकमार के जंगल में मौजूद रहे. सांसद, विधायक से लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव, कलेक्टर ने खेड़ा सर की अर्थी उठाई, उन्हें कांधा दिया. ऐसी मोहब्बत किसी देवात्मा को मिलती है.

आज जैसे प्रो. खेड़ा का शव उनके गाँव लमनी पहुँचा बैगा आदिवासियों की आँखों से आँसुओं की धार फूट पड़े,  बच्चें चीख-चीखकर रोने लगे…वहाँ मौजूद हर एक की आँखें नम थी. प्रो. खेड़ा का निधन यहाँ किसी एक व्यक्ति का निधन होने बराबर नहीं, बल्कि अचानकमार के घने जंगलों में सूर्य का सदा अस्त होने जैसा है। यहाँ के आदिवासी परिवार शायद इसे महसूस कर पा रहे होंगे कि उन्हें सच में अपने मसीहा को खो दिया. वे बच्चें समझ पा रहे होंगे जिन्हों अपने बाबा को खो दिया.


प्रो. खेड़ा को अग्नि वहाँ के आदिवासी परिवारों ने ही दी. अंतिम विदाई के इस बेला में सांसद अरुण साव, विधायक धर्मजीत सिंह, एसीएस आरपी मंडल, कलेक्टर संजय अलंग, सर्वेशर नरेन्द्र भूरे, आईजी केसी अग्रवाल, एसपी सीडी टंडन सहित बड़ी संख्या में बिलासपुर, मुंगेली, लोरमी के जनप्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहें.


इस मौके पर विधायक धर्मजीत सिंह ने प्रो. खेड़ा की स्मृति में छपरवार में रंगमंच, लमनी में उनके कुटिया के संग्राहलय बनवाने की घोषणा की. उन्होंने कहा, कि बीते 35 वर्षों में प्रो. खेड़ा ने जो कुछ यहाँ जिया, जो भी उनकी यादें रही है, जो भी उनके पास की वस्तुएं रही सभी को संग्राहलय में सहेज कर रखा जाएगा. वहीं सांसद अरुण साव ने कहा लमनी में प्रो. खेड़ा की मूर्ति स्थापित की जाएगी. साथ ही खेड़ा सरक की ओर से संचालित अभ्यारण्य शिक्षण समिति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छपरवा का उन्नय किया जाएगा.

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