दिलशाद अहमद, सूरजपुर. जिले में हाथियों का आतंक एक स्थाई समस्या बनकर रह गया है. खासकर जिले के प्रतापपुर रेंज में हाथियों का पसंदीदा रहवासी क्षेत्र बन गया है. लिहाजा हाथी और इंसानों का सामना हो जाता है. जिससे कई लोग हाथियों के हमले का शिकार हो जाते हैं. लोगों ने हाथियों के आतंक से निजात दिलाने की गुहार लगाई है.

बता दें कि, जिले में करीब दो दर्जन हाथियों की उपस्थिति साल भर बनी रहती है. जिनका जिले में एक से दूसरे रेंज में विचरण का सिलसिला चलता रहता है. लिहाजा इनके विचरण क्षेत्र में इंसानों के साथ सामना होने की संभावना बढ़ जाती है और असमय ही इंसानों की जान चली जाती है. खासकर महुआ बीनने के सीजन में इस तरह की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस समय ग्रामीण महुआ बिनने जंगल जाते हैं, जबकि हाथियों के पसंदीदा भोजन में महुआ भी शामिल है. जिसे खाने हांथी निकलते हैं और इसी दौरान इंसानों का हाथियों के साथ सामना हो जाता है. जिससे ग्रामीण हाथी के हमले का शिकार हो जाते हैं.

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वहीं ये समस्या वन विभाग के लिए भी स्थायी बन गई है, जिससे निजात दिलाने वन विभाग भी सिर्फ नए तरकीब निकालने में ही जुटा है. लेकिन कोई ऐसी तरकीब आज तक वन विभाग के हाथ नहीं लग पाई है. जिसे वो धरातल पर लागू कर सके. इन सबमें एक समस्या जंगलों के बीच से गुजरने वाली सड़क पर देखा गया है. जहां से आए दिन हाथियों को सड़क पार करते देखा जा सकता और इसी दौरान आवागमन करने वाले यात्री हाथियों के हमले का शिकार बन जाते हैं.

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इस समस्या को देखते हुए जिले के नए डीएफओ मनीष कश्यप ने कहा एक नए तरीके से उन स्थानों को चिन्हित कर सड़क के दोनों और करीब दो सौ मीटर का गड्ढा खोदकर उनके आवागमन को रोकने का प्रयास किया जाएगा. उन सड़कों के किनारे ऐसे गड्ढे खोदने से हाथी तेजी से सड़क पार नहीं करते, क्योंकि हाथियों को गड्ढ़े पार करने में दिक्कत होती है. जिससे सड़क पर आवागमन करने वालों को निकलने का समय मिल जाएगा. वहीं राहत की बात यह है की अभी तक महुआ बिनने गए लोगों का सामना हाथी से नहीं हुआ है. वन अमला सुबह शाम गांव में पहुंचकर लाउडस्पीकर से लोगों को हाथी की लोकेशन की जानकारी देते हैं.

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