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नई दिल्ली: मैदे की जलेबी तो बहुत खाई होंगी, क्या जंगल जलेबी यानी गंगा इमली खाई है. यह मटर के प्रजाति का है. इसका फल सफ़ेद और पूर्णतः पक जाने पर लाल हो जाता है और यह खाने में मीठा होता है. ये फल स्वास्थ्य के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होती है.
जंगली जलेबी को इन नामों से भी जाना जाता है
जंगली जलेबी को विलायती इमली, गंगा इमली, मीठी इमली, दक्कन इमली, मनीला टेमरिंड, मद्रास थोर्न और बंदर फली आदि नामों से भी जाना जाता है. जंगली जलेबी मैक्सिको से आकर हमारे देश के जंगलों में रम गईं है.
जलेबी की तरह होता है मीठा
बता दें कि विज्ञान ने जंगल जलेबी की वानस्पतिक नाम-Pithecellobium Dulce दिया है और इनका रिश्ता नाम की बजाए अपने गठीलेपन के कारण मटर से जोड़ दिया गया है. इसलिए इसे मटर प्रजाति का माना जाता है. इसका फल सफेद और पक जाने पर लाल हो जाता है और स्वाद तो नाम के अनुरूप जलेबी की तरह मीठा होता है.
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भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं ये तत्व
गंगा इमली में विटामिन सी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, थायमिन, राइबोफ्लेविन जैसे तमाम तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसकी छाल के काढ़े से पेचिश तक ठीक हो जाती है.
इम्युनिटी बढ़ाने में है मददगार
गंगा इमली में भरपूर मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है. इसके नियमित रूप से सेवन करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है. इसे जबरदस्त इम्युनिटी बूस्टर भी कहा जाता है और इस कोरोना महामारी के दौर में हमें सबसे ज्यादा इम्युनिटी बढ़ाने की ही जरूरत है.
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आंखों के लिए है फायदेमंद
गंगा इमली को त्वचा रोगों और आंखों की जलन में भी उपयोगी माना गया है. जानकार बताते हैं कि इस पेड़ की पत्तियों का रस दर्द निवारक का काम करता है.
मधुमेह को करता है दूर
गंगा इमली से मधुमेह का भी इलाज होता है. कहा जाता है कि यदि महीने भर तक नियमित रूप से जंगल जलेबी खाई जाए तो शुगर नियंत्रित हो जाती है.
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