हेमंत शर्मा, इंदौर। पाकिस्तान से लौटी गीता का परिवार मिल गया है। महाराष्ट्र के परभणी जिला के जिंतूर गांव में रहने वाले एक परिवार ने गीता के माता पिता होने का दावा किया था। जिसके बाद गीता के देखरेख का जिम्मा संभाल रहे इंदौर की सामाजिक संस्था के लोग उसे लेकर उसके माता-पिता से मिलाने के लिए पहुंचे थे।

बताया जा रहा है गीता ने उन्हें जो बातें बताई थी उसके अनुसार लगभग सारी परिस्थितियां वहां से मेल खा रही है। चाहे वह रेलवे स्टेशन के पास मेटरनिटी होम होने की बात हो या फिर उनके परिवार के द्वारा मंदिर के बाहर फूल मालाएं बेचने की बात हो और इतना ही नहीं गीता के पेट पर जो जले का निशान है उसकी भी तस्दीक उनके परिवार वालों ने की है।

जिसके बाद इंदौर की सामाजिक संस्था ने गीता को महाराष्ट्र की एक सामाजिक संस्था को गीता को सौंप दिया है और गीता अभी वहीं पर रहेगी। इस दौरान उसके माता-पिता होने का दावा करने वाले दंपति उससे लगातार मिलते रहेंगे ताकि यह बात पूरी तरीके से साफ हो पाए कि वही गीता के माता-पिता हैं।

होगी डीएनए जांच

इसके साथ ही सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं ने सरकार से उस दंपति के डीएनए टेस्ट कराने की भी मांग की है। गौरतलब है कि गीता लंबे समय से इंदौर में रह रही थी और इस दौरान कई परिवारों ने इंदौर आकर गीता के माता-पिता होने का दावा किया था लेकिन गीता ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया था। गीता ने जिस तरीके से सामाजिक संस्था के लोगों को बताया था उसके अनुसार यह तो तय था कि गीता मराठवाड़ा या तेलंगाना इलाके की रहने वाली है और उसी आधार पर गीता फोटो पुलिस स्टेशनों में भेजी गई थी ताकि उसका परिवार मिल सके।

सुषमा स्वराज के प्रयास से पहुंची थी भारत

आपको बता दें 26 अक्टूबर 2015 को गीता तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास के बाद भारत लौटी थी। सुषमा स्वराज ने गीता से मुलाकात कर उसे आश्वासन दिया था कि सरकार उसके माता-पिता की तलाश कर रही है।