अमित शर्मा, श्योपुर। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले से बड़ी खबर आई है। श्योपुर में कुपोषण से बच्ची की मौत (Girl child dies due to malnutrition in Sheopur) हो गई है। कुपोषण से मौत की खबर आने के बाद प्रशासनिक गलियारे में हड़कंप मच गया है। मामला श्योपुर जिला अस्पताल (Sheopur District Hospital) के एनआरसी केंद्र का है। कुपोषण से पीड़ित डेढ़ साल की मासूम को 4 दिन पहले ही एनआरसी केंद्र लाया गया था। गुरुवार को इलाज के दौरान मासूम देवकी आदिवासी की मौत हो गई। मामले की खबर Lalluram.Com को लग गई, जिसके बाद जिम्मेदार सफाई देते नजर आ रहे हैं।
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जिले के माथे पर लगे कुपोषण के कलंक को मिटाने के नाम पर जिम्मेदार अधिकारी लाख दावे क्यों न करें लेकिन कुपोषित बच्चों की मौत उनके तमाम दावों की पोल खोलकर रख देते हैं। जिले में गुरुवार की सुबह एक कुपोषित पीड़ित बच्ची की मौत हुई है। इसके बाद प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
बताया गया है कि, डेढ़ साल की मासूम बालिका देवकी आदिवासी का औसतन बजन 10 किलोग्राम से ऊपर होना चाहिए था। वहीं कुपोषण से ग्रसित होने की वजह से उसके शरीर का वजन महज पौने 4 किलो ही था। इलाज और पोषण के लिए पिछले 8 अगस्त को जिला अस्पताल की एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया गया था। कुपोषण की वजह से बच्ची की हालत ज्यादा नाजुक हो गई थी। इस वजह से गुरुवार की अलसुबह उसकी मौत हो गई।
बच्ची की मौत पर अधिकारी दे रहे अब सफाई
मृतक बच्ची के परिजनों ने कहा कि बच्ची पिछले तीन-चार दिनों से जिला अस्पताल की एनआरसी में भर्ती थी। वह कुपोषित थी। इस बारे में श्योपुर सीएमएचओ डॉक्टर बीएल यादव (Sheopur CMHO Dr BL Yadav) से बात की गई तो उन्होंने बच्ची की मौत को कुपोषण से होने की बात को सीधा स्वीकार तो नहीं किया लेकिन, वह बच्ची को कुपोषण के दायरे में होने की बात स्वीकार किया। साथ ही बच्ची की मौत को लेकर सफाई देते नजर आए। अब जिम्मेदार अधिकारी भले ही कोई भी बहानेबाजी करें लेकिन, हकीकत यही है कि, कुपोषण का कलंक आज भी जिले के माथे से मिटा नहीं है। आज भी कुपोषण से ग्रसित अनगिनत बच्चे हर महीने काल के गाल में समा रहे हैं।
कुछ साल पहले तक जिले में 20 हजार बच्चे कुपोषित थे
आपको बता दें कि श्योपुर जिले में पिछले कुछ साल पहले तक 20,000 से ज्यादा बच्चे कुपोषण से ग्रसित थे। इनमें से करीब 4000 बच्चे अति कुपोषित थे। अब महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) ने नए आंकड़े पेश करके जिले से कुपोषण लगभग गायब कर दिया है। वहीं डेढ़ साल की इस मासूम की मौत ने महिला बाल विकास विभाग के दावों के साथ-साथ उनके आंकड़े बाजी की भी पोल खोल कर रख दी है।
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