अहमदाबाद। गोधरा कांड में आज गुजरात हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. वहीं 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई थी, उसे बरकरार रखा गया है. यानि आज के फैसले के बाद अब किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी.

वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित परिवारों को 6 हफ्तों में 10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि रेलवे हालात संभालने में नाकामयाब रहा था. वहीं राज्य सरकार भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल साबित रही.

आज गुजरात हाईकोर्ट में एसआईटी की स्पेशल कोर्ट की ओर से आरोपियों को दोषी ठहराए जाने वाले फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ये फैसला आया.

बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगा दी गई थी, जिसके कारण 59 कारसेवकों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी. ये कारसेवक अयोध्या से वापस लौट रहे थे.

गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे. एसआईटी की स्पेशल कोर्ट ने 1 मार्च 2011 को मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया था. इनमें से 11 दोषियों को मौत और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी.

जिन लोगों को बरी किया गया था, उनमें मुख्य आरोपी मौलाना उमरजी, गोधरा नगरपालिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट मोहम्मद हुसैन कलोटा, मोहम्मद अंसारी और गंगापुर, उत्तर प्रदेश के नानूमिया चौधरी शामिल थे.

वहीं राज्य सरकार ने गोधरा कांड में 63 लोगों को बरी कर दिए जाने के फैसले को चुनौती दी है.