शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में गहराते बिजली संकट के पर सियासत की बाजार भी गर्म हो गई है. शिवराज के दो मंत्रियों के आमने-सामने आने के बाद कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नसीहत देते हुए कहा कि अपने मंत्रिमंडल को संभालिए नहीं तो ये मंत्री आपकी सरकार गिरा देंगे.
दरअसल, प्रदेश में जारी अघोषित बिजली कटौती और संकट को लेकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर आमने-सामने आ गए हैं. जिसको लेकर पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश को शिवराज सिंह चौहान किस तरह से चला रहे हैं. वे (मुख्यंत्री) खुद गपोड़पंथी कर रहे हैं और इनके मंत्री भी गपोड़पंथी करने लग गए हैं. उन्होंने कहा कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मान रहे हैं कि प्रदेश में अव्यवस्था है लेकिन उनके ऊर्जा मंत्री कह रहे हैं नहीं बिजली तो आवाज गति से चल रही है.
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पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी की आंदोलन और टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी के बिजली कटौती को लेकर सीएम को लिखे पत्र का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये पता नहीं किस तरह की शिवराज सरकार है, लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, किसान परेशान है, आपने बिजली की कटौती कई घंटों की चालू कर दी है. बिजली कंपनी में बिजली है नहीं और आप 12-16 घंटे की कटौती कर रहे हैं. सज्जन सिंह ने शिवराज सिंह को नसीहत देते हुए कहा कि अपना मंत्रिमंडल संभालिए नहीं ये मंत्रिमंडल आपकी सरकार गिरा देगी.
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बता दें कि ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि मध्य प्रदेश का कोई विधायक बता दे, किसके यहां 18 से 20 घंटे की बिजली की कटौती हो रही है, मैं खुद मौके पर जाकर देखूंगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसी प्रकार का बिजली का कोई संकट नहीं है और न ही बिजली की कटौती हो रही है. उन्होंने कहा कि कहा कि कोई भी विधायक बिजली कटौती के सबूत दे तो तत्काल कार्रवाई होगी. जनता की सेवा में कोई कमी रह गई तो मंत्री हो या अधिकारी पर नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि कोयला खदानों में बारिश का पानी भरने और मेंटिनेंस के चलते कहीं-कहीं 1 से 2 घंटे की कटौती की गई थी.
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वहीं गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बिजली संकट को स्वीकार करते हुए कहा है कि बिजली संकट है और 5 दिन में बिजली संकट दूर हो जाएगा. बिजली संकट इसलिए है क्योंकि पावर प्लांट में तकनीकी दिक्कते आईं हैं, बारिश और कोयले की कमी के कारण बिजली कटौती हो रही है.
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गौरतलब है कि कोयला कंपनी ने सरकारी भुगतान नहीं होने पर सप्लाई बंद कर दी है. वहीं सिंगाजी पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन आधा हो गया है. सिंगाजी पावर प्लांट की 2400 MW में से 1200 MW की बिजली उत्पादन इकाइयां भी बंद हैं. जबकि संजय गांधी पावर प्लांट में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है. फिलहाल प्रदेश में बिजली की जरुरत 10 हजार MW है, लेकिन 8 हजार ही उपलब्ध है. इन दोनों पावर प्लांट से बिजली उत्पादन रुकने से बिजली का संकट और गहरा सकता है.
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