नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं के कारण दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होने पर चिंता जाहिर करते हुए संसदीय समिति ने सीआरआईएफ के तहत सड़क सुरक्षा कार्यों के लिए निर्धारित राशि के मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाने पर विचार करने की बात करते हुए इस पर निगरानी के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करने की भी सिफारिश की है। परिवहन , पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने केंद्रीय सड़क एवं अवसरंचना निधि ( सीआरआईएफ ) के तहत राज्यों को किए गए आवंटन का 10 प्रतिशत सड़क सुरक्षा कार्यों के लिए निर्धारित किए जाने के तथ्य को नोट करते हुए सरकार से इसे बढ़ाने की सिफारिश की है। समिति ने भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होने और अनगिनत परिवारों के साथ-साथ समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ने का जिक्र करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकारों को आवंटित सीआरआईएफ निधि का एक बड़ा हिस्सा सड़क सुरक्षा कार्यो के लिए निर्धारित किया जाता है तो इससे मंत्रालयों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।

समिति ने सीआरआईएफ निधियों के वितरण को और अधिक पारदर्शी बनाने और इसके संबंध में आने वाली परेशानियों के समाधान के लिए मंत्रालय और राज्य सरकारों को समन्वय के साथ काम करने की सलाह देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से इस धन के प्रभावी सदुपयोग का ध्यान रखने और निगरानी के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करने की भी सिफारिश की है।

समिति ने इस सीआरआईएफ निधि के तहत राज्य सरकारों द्वारा बनाई जा रही सड़कों की गुणवत्ता की जांच के लिए भी मंत्रालय को एक तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की है।

समिति ने सीआरआईएफ निधि के तहत चल रही परियोजनाओं की देरी का संज्ञान लेते हुए सिफारिश की है कि सभी संबंधित मंत्रालय/ राज्य विभागों जैसे पर्यटन , संस्कृति , हवाई अड्डे, जहाजरानी , रेलवे आदि को अपने-अपने क्षेत्र के लिए एक मास्टर प्लान और कार्य योजना तैयार करनी चाहिए और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए समय-समय पर बैठकें भी आयोजित करनी चाहिए।

समिति ने सड़क की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर या खराब प्रदर्शन होने पर ठेकेदार को उपयुक्त रूप से दंडित करने और भविष्य में किसी भी सड़क परियोजना को देने से पहले उनके पिछले परियोजना रिकॉर्ड पर भी विचार करने की सिफारिश की है ताकि सड़कों की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता ना हो।