नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ रहे विदेशी कीकर के पौधों को हटाया जाएगा. विदेशी कीकर को हटाकर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे. इस परियोजना में कैनोपी लिफ्टिंग विधि से विदेशी कीकर को हटाने का काम किया जाएगा. इस पायलट परियोजना के तहत पहले फेज में दिल्ली सेंट्रल रिज के 10 हेक्टेयर भूमि पर काम शुरू किया जाएगा. दिल्ली में घास के मैदान भी विकसित किए जाएंगे. इसे पक्षियों और तितलियों के लिए सफारी के तौर पर भी विकसित किया जाएगा. सेंट्रल रिज को विकसित करने से दिल्ली को काफी हद तक प्रदूषण से भी राहत मिलेगी. दिल्ली में कुल साढ़े 7 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्बहाल किया जाएगा. राष्ट्रीय राजधानी की हरियाली को बढ़ाने के लिए हिंगोट, बरगद, बहेड़ा, गोभी, चमरौद, पिलखन, अमलतास, शहतूत, पलाश, देशी बबूल, खैर, करेली, गूलर, हरसिंगार जैसे पौधे लगाए जाने हैं, साथ ही घटबोड़, कड़ीपत्ता, शतावरी, करोंदा, अश्वगंधा, झरबेरे, कढ़ीपत्ता जैसी झाड़ियां भी लगाई जाएंगी.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने किया सेंट्रल रिज का दौरा
दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय बुधवार को जैव विविधता संवर्धन के माध्यम से पारिस्थितकी बहाली के कार्य की समीक्षा के लिए सेंट्रल रिज का दौरा किया. वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आज हम प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. इसके अंतर्गत विदेशी कीकर को हटाकर स्थानीय भारतीय पौधों को लगाया जा रहा है. सेंट्रल रिज की समीक्षा के बाद गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में विदेशी कीकर की बढ़ती संख्या को देखते हुए जैव विविधता संवर्धन के माध्यम से सेंट्रल रिज की पारिस्थितकी बहाली का कार्य शुरू किया गया है. साथ ही आज से विदेशी कीकर को हटाकर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने के कार्य की शुरुआत की गई है. दिल्ली के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए विभाग की ओर से इस कार्य की शुरुआत पहले चरण में 10 हेक्टेयर भूमि पर की जा रही है. आगे इस अभियान के तहत साढ़े 7 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्बहाल किया जाएगा.
विदेशी कीकर से मुक्त होंगे घास के मैदान
मंत्री गोपाल राय ने बताया कि परियोजना के तहत सबसे पहले सेंट्रल रिज क्षेत्र को कट रूट स्टॉक विधि के द्वारा विलायती कीकर से मुक्त किया जाएगा, क्योंकि यह देखा गया है कि विदेशी प्रजातियों का विस्तार आक्रामक रूप से बढ़ रहा है. इस विस्तार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए विदेशी कीकर को हटाकर स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाने का काम आज से शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा जिन स्थानों पर विलायती कीकर नहीं हैं, वहां पर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने का काम भी शुरू कर दिया गया है. परियोजना के बारे में बताते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली सरकार के वन और वन्यजीव विभाग के द्वारा सेंट्रल रिज प्रोजेक्ट के तहत घास के मैदान भी विकसित किए जाएंगे. इसे पक्षियों और तितलियों के लिए सफारी के तौर पर भी विकसित किया जाएगा. साथ ही इस प्रोजेक्ट में आसपास के पार्क भी शामिल किए जाएंगे. उन्होंने ने कहा कि इस पायलट परियोजना में चेक डेम और नेचुरल वॉटर बॉडी का निर्माण भी किया जाएगा, ताकि प्राकृतिक रूप से वहां जल का संग्रहण हो सके और भविष्य में भी पानी की समस्या से जूझना न पड़े.
विलायती कीकर की जगह स्थानीय पौधे लगाने का काम शुरू
बुधवार को दिल्ली के सेंट्रल रिज में स्थानीय प्रजातियों के पौधरोपण के अभियान की भी शुरुआत की गई, साथ ही सेंट्रल रिज में विदेशी कीकर को हटाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि सरकार की राज्यभर में 14 नर्सरी हैं, जहां सेंट्रल रिज के लिए पेड़ों, झाड़ियों, जड़ी-बूटियों की लगभग 60 पौधों की प्रजातियों को तैयार किया जाएगा. साथ ही विभाग विभिन्न नर्सरी और वृक्षारोपण तकनीकों पर वन कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है, ताकि कर्मचारी भविष्य में देशी वृक्षारोपण को लेकर संबंधित सभी नर्सरी कार्यों को संभालने में सक्षम हो सकें.
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