भोपाल। केंद्र सरकार ने जूते-चप्पल पर जीएसटी को 5 से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है। इसी के साथ ही जूते-चप्पल पहनान भी अब महंगा हो गया है। सरकार ने गरीब की ‘चरणपादुका’ और खेती-किसानी के दौरैान पहनने वाले जूतों पर जीएसटी को बढ़ा दिया है। इसके कारण गरीब की चरणपादुका और किसान के जूते के दाम भी बढ़ गए हैं। 25 रुपए में आने वाली चप्पल के दाम भी बढ़कर 28 रुपए हो गई। सरकार ने स्कूल बच्चों को भी राहत नहीं देते हुए स्कूल जाने वाले शूज भी दाम बढ़ा दिए हैं।
बता दें कि पिछले 5-6 महीने में जूते-चप्पल बनाने में लगने वाला कच्चा माल दोगुना तक महंगा हुआ है। खासतौर पर जूते-चप्पलों के सोल की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं। इस बीच सरकार ने 1,000 रुपए से कम के जूते-चप्पलों पर GST की दर 5% से बढ़ाकर 12% कर दी है। वहीं सरकार के फैसले का भारी विरोध हो रहा है क्योंकि जूते-चप्पलों की खरीदारी से लेकर इन्हें बनाने वालों तक 95% कारोबार इसी प्राइस रेंज में सिमटा हुआ है।
15 से 20 फीसदी दाम बढ़ने की आशंका
इस सीजन में फुटवियर के दाम 15-20 फीसदी बढ़ने की आशंका है। मतलब दाम इतने ज्यादा कि आम लोगों को कोई फुटवियर खरीदने से पहले 10 दफा सोचना होगा। भारत एक विकासशील देश है। यहां की अधिकतर जनसंख्या करी है। आम आदमी 100 से लेकर 500 रुपए तक चप्पल-जूते पहनता है। इसका मतलब यह हुआ कि अबतक बिकने वाला 100 रुपए का चप्पल अब 115 से 120 रुपए में मिलेगा। यह गरीब और किसान के लिए किसी बोझ के समान ही है।
विदिशा में व्यापारियों ने प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
संदीप शर्मा, विदिशा। जूते-चप्पलों पर जीएसटी बढ़ाने के विरोध में विदिशा में व्यापारियों ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का नाम कलेक्टर उमाशंकर भार्गव को ज्ञापन सौंपा। व्यापारियों ने ज्ञापन के माध्यम से बढ़े हुए जीएसटी को वापस लेने की मांग की है।
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