एसआर रघुवंशी, गुना। जब एंबुलेंस ही मददगार न बने तो जिंदगी की डोर पलों में टूट जाती है। व्यवस्था की गाड़ी खुद बिना पहिये के हो तो जिंदगी का सफर बीच रास्ते में ही खत्म हो जाता है। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के गुना जिले से सामने आया है। जहां एंबुलेंस की लापरवाही ने एक बुजुर्ग की जान ले ली।

मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही की एक और करुण घटना उजागर हुई है। म्याना के 65 वर्षीय मरीज जगदीश प्रसाद ओझा को गुना जिला अस्पताल रेफर किया गया था, लेकिन इलाज से पहले ही उनकी जिंदगी छिन गई। वो भी अस्पताल या डॉक्टर की कमी से नहीं, बल्कि एंबुलेंस की लापरवाही से। 108 एंबुलेंस मरीज को लेकर गुना जा रही थी, तभी भदौरे के पास अचानक गाड़ी का टायर पंचर हो गया और फिर फट गया। लेकिन इससे भी बड़ा झटका यह था कि एंबुलेंस में स्टेपनी यानी अतिरिक्त टायर तक नहीं था।

ये भी पढ़ें: ड्राइवर से और क्या उम्मीद कर सकते हैंः ट्रक को रेलवे ट्रैक के बीच छोड़कर भागा, आधा दर्जन ट्रेनें हुई लेट

करीब 45 मिनट तक एंबुलेंस सड़क किनारे लाचार खड़ी रही, जबकि अंदर मरीज की सांसें टूट रहीं थीं। दूसरी एंबुलेंस के आने तक सब कुछ खत्म हो चुका था, मरीज की मौत हो चुकी थी। घटना की जानकारी मिलते ही बमौरी विधायक ऋषि अग्रवाल और तहसीलदार गोरीशंकर बेरवा जिला अस्पताल पहुंचे।

ये भी पढ़ें: बैतूल में आदिवासी युवक की हत्या का मामला: मुलताई में आदिवासियों ने निकाली रैली, जयस ने कराया बंद, हत्यारों को फांसी देने की मांग

विधायक अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अफसरों से जवाब तलब किया और कहा कि “यह कोई पहली बार नहीं है। 108 एंबुलेंस में कई बार ऑक्सीजन से लेकर स्ट्रेचर तक की कमी रहती है। ऐसी लापरवाही सीधे आम जनता की जान पर बन आती है। उन्होंने एंबुलेंस ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। वहीं कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने मामले में जांच कमेटी गठित की है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H