Gupt Navratri 2024: रायपुर. गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधना करते हैं. माता को प्रसन्न करके तंत्र विद्या और तंत्र साधना की प्राप्ति करते हैं. साल 2024 की पहली गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से 18 फरवरी तक होगी.

उदित नवरात्रि में जितने भी शक्तिपीठ, देवी पीठ और सिद्ध पीठ हैं उनमें नौ दिनों तक ज्योत जलाकर पर्व मनाया जाता है.लेकिन गुप्त नवरात्रि में पूजा गुप्त रूप से तंत्र साधना के लिए की जाती है. तंत्र साधकों के लिए छत्तीसगढ़ की मां दंतेश्वरी देवी उन विशेष स्थान में से एक है यहां सैकड़ो साधक गुप्त रूप से साधना सिद्ध करते हैं.

850 साल पुराना है मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर (Gupt Navratri 2024)

देश का 52वां शक्तिपीठ माना जाने वाला दंतेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर का निर्मांण अन्न्मदेव ने करीब 850 साल पहले कराया था. डंकिनी और शंखिनी नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर का जीर्णोद्धार पहली बार वारंगल से आए पांडव अर्जुन कुल के राजाओं ने करीब 700 साल पहले करवाया था. 1883 तक यहां नर बलि होती रही है. 1932-33 में दंतेश्वरी मंदिर का दूसरी बार जीर्णोद्धार तत्कालीन बस्तर महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी ने कराया था. मंदिर प्रागण में नदी के समीप आठ भैरव भाईयों का आवास माना जाता है. इसलिए इसे तांत्रिकों की साधना स्थली माना जाता है. आदिवासियों की ऐसी मान्यता है आज भी सैकड़ों तांत्रिक जंगल और गुफाओं में साधना कर रहे हैं और गुप्त रूप से वे मां के दर्शन करने आते हैं. नवरात्रि के दिनों में इन साधकों की संख्या और अधिक बढ़ जाती है.

पौराणिक कथा के अनुसार माता सती के गिरे थे दांत

इस शक्ति पीठ के विषय में एक प्राचीन कहानी बताई जाती है. कहा जाता है कि सतयुग में जब राजा दक्ष ने यज्ञ कराया तो उन्होंने भगवान शंकर को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया. सती राजा दक्ष की पुत्री थीं तो उन्होंने अपने पति के इस अपमान से क्षुब्ध होकर अपने पिता के यज्ञ कुंड में खुद की आहुति दे दी. जब भगवान शंकर को इस बारे में पता चला तो वह सती का शव अपनी गोद में लेकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करने लगे. भगवान शिव के इस क्रोधित रूप से प्रलय की आशंका को देखते हुए भगवान विष्णु ने चक्र चलाया और सती के शव को खंडित कर दिया. इस दौरान जिन-जिन स्थलों पर सती के अवशेष गिरे, वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुई. उनमें से दंतेवाड़ा एक है. कहा जाता है कि यहां माता सती के दांत गिरे थे.