आज गुरु घासीदास की जयंती है. वे राज्य की संत परंपरा में सर्वोपरि हैं. बाल्याकाल से ही गुरु घासीदास के हृदय में वैराग्य का भाव प्रस्फुटित हो चुका था, समाज में व्याप्त पशुबलि तथा अन्य कुप्रथाओं का ये बचपन से ही विरोध करते रहे.
समाज को नई दिशा प्रदान करने में इन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था. सत्य से साक्षात्कार करना ही गुरु घासीदास के जीवन का परम लक्ष्य था. ‘सतनाम पंथ’ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है.
बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के गिरौद नामक ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था.