रायपुर. पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.विद्याचरण शुक्ल के समर्थकों ने रायपुर के कोटा में विश्वविद्यालय का स्पोर्ट्स स्टेडियम का नाम बदलने जाने पर विरोध जताया है. वीसी समर्थकों का कहना है कि एक महापुरुष का नाम मिटा कर दूसरे महापुरुष का नाम लिख देना कहाँ तक उचित है? वे इस मामले को लेकर राज्यपाल से भी मिलेगें.

छत्तीसगढ़ संघर्ष परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि रविशंकर शुक्ल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे,उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन सहित स्वतंत्रता संग्राम की अनेकों लड़ाइयां लड़ीं,उनकी गिनती महात्मा गांधी के बेहद करीबी साथियों में होती थी ,1956 में वह नवगठित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने और प्रदेश के विकास की नींव रखी.

पदाधिकारियों ने बताया कि रायपुर के कोटा में विश्वविद्यालय का स्पोर्ट्स स्टेडियम उन्ही के नाम से जाना जाता था. जिसका नाम बदल कर अब स्वामी विवेकानंद के नाम पर कर दिया गया, कदापि यह आपत्ति स्वामी विवेकानंद के नाम पर नहीं है बल्कि उस घटिया सोच के नाम पर है जो एक महापुरुष का नाम मिटा कर दूसरे महापुरुष का नाम लिख देने का षड्यंत्र रचती है. क्या स्वामी विवेकानंद जीते जी स्वयं इस बात की इज़ाज़त देते की उनका नाम ऐसी जगह लिख दिया जाए जहां पर पहले ही एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का नाम लिखा हुआ है?

दौलत रोहड़ा

पदाधिकारियों का आरोप है विश्वविद्यालय के कुलपति ने सिर्फ एक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी का अपमान नहीं किया है बल्कि आज़ादी की लड़ाई में अपनी जान गवाएं सैंकड़ों अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भी अपमान किया है.अगर कुलपति को अपनी गलती सुधारना चाहिए. कुलपति की गलती सुधरवाने के लिए सोमवार को राज्यपाल को ज्ञापन भी परिषद द्वारा सौपा जायेगा. इस बात की जानकारी छत्तीसगढ़ संघर्ष परिषद के सदस्य दौलत रोहड़ा और कुणाल शुक्ला ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत के दौरान दी.

श्रीकुमार मेनन,प्रदेश प्रवक्ता,कांग्रेस

वही इस मामले को लेकर कांग्रेस भी छत्तीसगढ़ संघर्ष परिषद के साथ खड़ी है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता श्रीकुमार मेनन ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा के दौरान कहा कि एक महापुरुष का नाम मिटा कर दूसरे महापुरुष का नाम लिख देना किसी भी तरीके से सही नही है जिसका कांग्रेस विरोध करती है. और मांग करती है कि रायपुर के कोटा में स्थित विश्वविद्यालय का स्पोर्ट्स स्टेडियम का नाम न बदला जाये.