कोरबा. जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन स्वास्थ्य विभाग के नियमों की अनदेखी कर अवैध क्लिनिक का संचालन कर रहे है. उनको न तो नियमों की परवाह है न ही कार्रवाई का भय. यही वजह है कि निजी क्लिनिक का संचालक के लिए उनके द्वारा अब तक नर्सिग होम एक्ट 2013 के तहत लाइसेंस नहीं लिया गया है.

विभागीय अधिकारियों की माने तो लाइसेंस के लिए अब तक सिविल सर्जन अरूण तिवारी के द्वारा आवेदन भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. जबकि इस एक्ट के लागू होने के बाद दायरे में आने वाले सभी क्लिनिक व अस्पतालों को प्रक्रिया का पालन करते लाइसेंस लेना अनिवार्य है. लेकिन खुद शासकिय चिकित्सक होने के कारण स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई का इनको भय नहीं सता रहा है. निजी क्लिनिक के संचालन के लिए बकायदा सिविल सर्जन ने समय का निर्धारण कर रखा है. वे रोज 1 बजे अपने क्लिनिक में पहुंच जाते है इसके बाद दोपहर ढाई बजे तक सेवा निरंतर जारी रहती है. इसी तरह शाम साढ़े 5 बजे से रात साढ़े 8 बजे तक सेवा दी जाती है.

जबकि नियमों के मुताबिक मानदेय प्राप्त करने वाले सिविल सर्जन या सीएमएचओ निजी प्रैक्टिस का अधिकार नहीं रखते है. नियम विरोधी कर रहे कार्य के लिए सिविल सर्जन डाॅ. अरूण तिवारी जिला अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों की सेवाओं में भी कटौती करते नज़र आते है.

ऐसे तो अस्पताल में ओपीडी का समय शासन ने सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक निर्धारित किया है लेकिन सिविल सर्जन कभी 9 बजे तो कभी 10 बजे अस्पताल पहुंचते है। साथ ही दोपहर 1 बजे ही अस्पताल से अपने निजी क्लिनिक के लिए 1 घंटा पहले ही निकल जाते है। ऐसे में अस्पताल में एकमात्र ईएनटी स्पेषलिस्ट होने के कारण लोगो को कई बार समय को लेकर भटकना पड़ता है।

नोडल आॅफिसर डॉ राकेश अग्रवाल का कहना है कि डाॅ. तिवारी की ओर से क्लिनिक संचालन हेतु कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है, न ही विभाग की ओर से उनको प्रैक्टिस हेतु लायसेंस जारी किया गया है.

जब इस बारे में कोरबा कलेक्टर मो.अब्दुल कैसर हक से बात कि गई तो उनका कहना था कि इस मामले की जानकारी मिली है, इस बात की जांच कराई जाएगी की सिविल सर्जन निजी प्रैक्टिस कर सकते है या नहीं, और उन्होने नर्सिंग होम एक्ट के तहत लाइसेंस लिया है नहीं, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.

स्वस्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव सुब्रत साहू का कहना है कि सिविल सर्जन अगर मानदेय नहीं लेते है तो प्रैक्टिस कर सकते है, लेकिन सभी को नर्सिंग होम एक्ट के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य है. शिकायत सामने आएगी तो संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी