सोमवार को भारत ने कनाडा से छह राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की, साथ ही इस सप्ताह के अंत में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा सहित पांच अन्य अधिकारी और राजनयिकों को वापस बुलाने की घोषणा की. भारत लौटने पर इन अधिकारियों को खालिस्तानी समर्थक समूहों से गंभीर खतरे की आशंका है, इसलिए उनको अतिरिक्त सुरक्षा दी जाएगी.

इसके अलावा, संजय कुमार वर्मा सहित कनाडा में हाल ही में तैनात अन्य भारतीय अधिकारियों और राजनयिकों को भी विशेष सुरक्षा मिलेगी. टोरंटो के वाणिज्य दूत सिद्धार्थ नाथ को सबसे अधिक “खतरे में” माना जा रहा है. उन्हें भी हाल ही में कनाडा छोड़ने का आदेश दिया गया था. पिछले साल अगस्त में, नाथ ने टोरंटो कांसुलेट का पदभार संभाला था, ब्रिटिश कोलंबिया के प्रमुख खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के दो महीने बाद.

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खालिस्तानी समर्थक समूह का $500,000 का इनाम

“सिख्स फॉर जस्टिस” ने संजय वर्मा की गतिविधियों पर निगरानी रखने 500,000 डॉलर का इनाम घोषित किया है. SFJ के जनरल काउंसल गुरपतवंत पन्नू ने कहा कि वे “संजय कुमार वर्मा की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे” और उन्हें “न्याय के कटघरे” में लाने की कोशिश करेंगे. SFJ का आरोप है कि वर्मा ने निज्जर की हत्या में कथित तौर पर हाथ था, और यह संगठन लगातार कनाडा के प्रधानमंत्री को इस मामले की जांच के लिए पत्र लिखता रहा है.

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भारत की प्रतिक्रिया: वीजा के बजाय OCI कार्ड पर सख्ती

भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों के ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड पर सख्त कार्रवाई करने की सरकारी योजना है, सूत्रों ने कहा. हालाँकि, पिछले साल प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा था कि वीजा जारी करने पर रोक लगाने की संभावना नहीं है.

ट्रूडो का बयान: “सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम”: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को कहा कि छह भारतीय अधिकारियों को निष्कासन नोटिस देना “आवश्यक” था ताकि कनाडा की सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा बने हुए आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सके. खालिस्तानी मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय राजनयिकों और अधिकारियों की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है.

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