बिलासपुर.  रायपुर और बिलासपुर नगर निगम द्वारा प्रदूषित पानी पिलाए जाने के मामले में कोर्ट कमिश्नरों द्वारा 7 नवंबर 2017 को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के जवाब में रायपुर और बिलासपुर नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट कमिश्नर की समिति द्वारा दिए गए सुझावों का पालन किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने आदेशित किया कि प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी जांच कर बताएं कि कोर्ट कमिश्नर की समिति द्वारा दिए गए सुझावों पर कितना अमल हुआ है. मुख्य अभियंता को अपनी जांच रिपोर्ट 12 दिसंबर तक जमा करानी है.

गौरतलब है इसके पूर्व कोर्ट कमिश्नरों ने प्रस्तुत रिपोर्ट में कई सुझाए दिए हैं. महत्वपूर्ण सुझाव ये हैं.

  • रायपुर और बिलासपुर के सैंपलों की जांच एनएबीएल द्वारा अनुमोदित प्रयोगशाला से कराई जाए.
  • पानी शुद्धिकरण संयंत्रों की लैब में CCTV कैमरा लगा कर जांच करने की कार्यवाही की निगरानी की जावे.
  • पानी संयंत्रों में सुरक्षा गार्ड नियुक्त किया जाए.
  • पानी की जो पाइप लाइन नालियों से जा रही है उन्हें तथा नालों से गुजरने वाली मुख्य पानी की लाइन को ऊपर उठाकर सुधार कार्य करवाएं.
  • रायपुर के लिए अतिरिक्त रूप से सुझाव देते हुए कहा गया था कि खारून नदी में गिर रहे सभी 17 नालो में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट यथाशीघ्र स्थापित करें और रायपुर में पुरानी बनी अंडर ग्राउंड सीवरेज लाइन को चालू किया जाए.
  • बिलासपुर नगर निगम के लिए कोर्ट कमिश्नर की टीम ने अतिरिक्त सुझाव दिया था कि वहां पर पानी जांचने की प्रयोगशाला में क्वालिफाइड स्टाफ की अत्यंत जल्दी भर्ती की जावे तथा समस्त खाली पद भरे जावे.
  • समिति ने यह भी सुझाव दिया था कि प्रत्येक जिले में पानी की जांच करने हेतु एनएबीएल अनुमोदित प्रयोगशाला होनी चाहिए.

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में पीलिया से पत्नी की मृत्यु होने उपरांत दीनदयाल उपाध्याय नगर रायपुर के मुकेश कुमार देवांगन ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें हाई कोर्ट ने अधिवक्ता मनोज परांजपे अधिवक्ता अमृतो दास एवं अधिवक्ता सौरभ डांगी की कोर्ट कमिश्नर की समिति नियुक्त कर रायपुर और बिलासपुर नगर निगम में पेयजल स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया था.