बिलासपुर। पुराने जीर्ण-शीर्ण भवन को तोड़ने के लिए रायपुर निगम की ओर से जारी नोटिस की वैधता को दी गई चुनौती को हाईकोर्ट ने खारिज दिया है. साथ ही आदेशित किया है कि याचिकाकर्ता रायपुर नगर निगम में 15 दिवस के भीतर खतरनाक जर्जर भवन के संबंध में उपर्युक्त संरचना प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें. निगम उपर्युक्त निर्णय कर तोड़ने की कार्रवाई कर सकती है.

सुनील, दिनेश और हेमंत तापडिया ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर कहा था कि रायपुर निगम आयुक्त बिना कानून का पालन किए नोटिस निकाले मकान तोड़ने की कार्रवाई कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान रायपुर नगर निगम के अधिवक्ता संदीप दुबे ने उच्च न्यायालय को बताया कि गंजपारा चौक में याचिकाकर्ता के आवास अत्यंत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, जो कभी भी धराशाई होकर अत्यधिक जनहानि कर सकती है.

याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर जीर्ण-शीर्ण आवासीय भवन को 15 दिवस के भीतर स्वयं हटा लें, या इंजीनियर द्वारा रहने योग्य संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें. जन-धन की हानि होने पर याचिकाकर्ता जिम्मेदार होंगे. यदि उक्त जर्जर भवन को याचिकाकर्ता स्वयं नहीं तोड़ा गया तो उसे निगम द्वारा तोड़ कर गिरा दिया जाएगा.

नगर निगम रायपुर के अधिवक्ता संदीप दुबे के द्वारा फोटोग्राफ दिखाकर उच्च न्यायालय को अवगत कराया कि भवन अत्यंत जर्जर अवस्था में है, बरसात में कभी भी गिर कर जन-धन की हानि पहुंचा सकता है. निगम का आशय भवन में तोड़-फोड़ नहीं करने का है. निगम ने जनहानि को बचाने के लिये भवन तोड़े जाने का नोटिस दिया था.

दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात उच्च न्यायालय के एकल पीठ के न्यायाधीश गौतम भादुड़ी ने यह निर्णय दिया कि परिस्थितियों को देखते हुए आयुक्त द्वारा उचित निर्णय लिया गया है. याचिकाकर्ता को 15 दिन के भीतर उपर्युक्तता संरचना प्रमाण पत्र नगर निगम रायपुर में प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया. रायपुर नगर निगम अपने संरचना प्रभारी के जांच के पश्चात भवन को जर्जर पाती है तो वह मकान को तोड़ने की कार्रवाई कर सकती है.