बिलासपुर। हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों के कामकाज पर रोक लगाने पर कहा है कि अगर इनकी नियुक्ति मंत्री पद पर राज्यपाल ने नहीं की है तो उन्हें काम न करने दिया जाए.  ये रोक तब लागू रहेगी जब तक कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर अंतिम फैसला न हो जाए. हांलाकि दोनों पक्ष कोर्ट के आदेश को अपने पक्ष में बता रहे हैं.

दरअसल प्रदेश के 11 संसदीय सचिवों को पद और लाभ से पृथक  रखने की मांग करने वाले आवेदन पर फाइनल सुनवाई हुई. कोर्ट ने पहले हाफ में दोनों पक्षों की दलीलों को सुना उसके बाद भोजनावकाश के बाद ये फैसला सुनाया.

इस मामले में याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर ने कोर्ट से मांग की थी कि जब तक इस मामले में अंतिम फैसला न आ जाए तब तक प्रदेश के 11 संसदीय सचिवों को वेतन, भत्तों, गाड़ियों और दूसरी सुविधाओं के लाभ से वंचित रखा जाए. इस मामले में अंतिम फैसला 23 अगस्त को आना है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने असम के मामले में फैसला दे दिया है कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकारों को नहीं है.

याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर के वकील अमृतो दास ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी भी दे दी है. जिसमें संसदीय सचिवों की नियुक्ति को संविधान विरुद्ध बताया गया है. महाधिक्ता गिल्डा ने कहा था कि इस मामले में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील पक्ष रखेंगे इसलिए सुनवाई के लिए वक्त दिया जाए.