नई दिल्ली. जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं. Exit Polls ने 19 मई को ही बता दिया था कि दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा को जीत मिल सकती है और शुरुआती रूझान भी कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं. जाहिर से दिल्ली में जीत का परचम लहराने के लिए कांग्रेस से बार-बार बात करने पर भी असफल रहने वाले मुख्यमंत्री के माथे पर सलवटें पड़ रही हैं.

दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों के लिए इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पूरा जोर लगाया था.  बीजेपी ने यहां कई नए चेहरों को उतारा था. इसमें क्रिकेटर गौतम गंभीर, सूफी गायक हंस राज हंस हैं, जो रुझान दिख रहे हैं अगर रिजल्ट भी वैसा ही आता है तो दिल्ली विधानसभा की 67 सीटें जीतकर इतिहास रचने वाली आम आदमी पार्टी और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल के लिए यह विचारणीय प्रश्न होगा. यदि आम आदमी पार्टी यहां से एक भी सीट नहीं जीतती है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में भी उनको अपने इसी तरह के रिजल्ट के लिए तैयार रहना चाहिए.

इस बार दिल्ली में 15 सालों तक राज कर चुकी शीला दीक्षित भी मैदान में हैं. यदि शुरुआती रुझान ही नतीजों में बदलते हैं तो ऐसा लगता है कि दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित का भी लोगों से मोह भंग हो गया है. इसी वजह से आम जनता ने उनको भी पसंद नहीं किया. इसी तरह से आम आदमी पार्टी के तमाम नेताओं को भी लोगों ने नकार दिया है. विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को यदि यहां से एक भी सीट नहीं मिलती है तो इसका मतलब साफ है कि दिल्ली की जनता अब इनके शासन से मुक्ति चाहती है इसी वजह से लोकसभा में सभी नेताओं को नकार दिया गया है.