होली हिंदुओं का अत्यंत प्रमुख पर्व है । होली का पर्व दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होता है इस दिन होलिका को जलाया जाता है और दूसरे दिन सभी लोग हर्ष उल्लास से रंग खेलते है ।शास्त्रो में होलिका दहन की विधि बतायी गयी है, मान्यता है कि होलिका दहन विधिपूर्वक करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है, घर कारोबार में सुख-समृद्धि का वास होता है।वर्ष 2023 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त गुरुवार 7 मार्च को है ।शुक्रवार 8 मार्च 2023 को रंगवाली होली जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि भी कहते है पूरे हर्ष और उल्लास के साथ खेली जाएगी ।शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन विधि पूर्वक करने से समस्त संकटो से रक्षा होती है,
होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। होलिका दहन में जल, फूल, गुलाल, कलावा तथा गुड आदि से होलिका का पूजन करते है ।होलिका के पूजन के लिए गोबर से बनाई गई खिलौनों की चार मालाएं अलग से घर लाकर रख दी जाती है।सर्वप्रथम कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करते हुए लपेटा जाता है। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियों को एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है,पुष्प से पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है एवं पूजन के बाद जल से अर्ध्य दिया जाता है ।
सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित कर दी जाती है, अंत में सभी पुरुष रोली का टीका लगाते है, महिलाएं गीत गाती है.और लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल रंग का तिलक करते है बडों का आशिर्वाद लेते है ।होलिका दहन में प्रत्येक जातक को घी में डूबी हुई कपूर की 5 या 7 या 11 टिकिया भी अवश्य डालनी चाहिए इससे जीवन से किसी भी तरह की नकारत्मक ऊर्जा दूर होती है।
होलिका के पूजन में ध्यान रखे कि आपका मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
होलिका की पूजा करते हुए ‘ॐ नृसिंहाय नम:’ से भगवान नृसिंह की, ‘ॐ होलिकायै नम:’ से होलिका की और ‘ॐ प्रह्लादाय नम:’ से भक्त प्रह्लाद की पूजा करनी चाहिए।होलिका की पूजा करते समय भगवान विष्णु जी के नरसिंह अवतार का स्मरण करते हुए उनसे अपनी भूलों की लिए क्षमा माँगनी चाहिए, उनसे अपने घर परिवार के कल्याण, अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आशीर्वाद माँगे ।
होलिका दहन में घर के सभी सदस्यों को अवश्य ही शामिल होना चाहिए । होलिका दहन में चना, मटर, गेंहूँ बालियाँ या अलसी आदि डालते हुए अग्नि की तीन / सात परिक्रमा करें। इससे घर में शुभता आती है।ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन में शामिल होने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, समस्त कष्टों का निवारण होता है।होलिका दहन के बाद उसकी थोड़ी भस्म जरूर लाएं, उसका टीका किसी महत्वपूर्ण कार्य में जाते हुए पुरुष अपने मस्तक पर और स्त्री अपने गर्दन में लगाएं, कार्यों में सफलता मिलेगी और धन संपत्ति में भी वृद्धि होगी ।ऐसी भी मान्यता है कि रात में या अगले दिन सुबह होली की अग्नि और राख को घर में लाने से परिवार के सभी सदस्यों की नज़र / टोन टोटको / अशुभ शक्तियों से रक्षा होती है।
होली के दिन चाँदी की डिबिया खरीद कर उस नई चांदी की डिबिया में होली की भस्म लेकर उसे घर के मंदिर अथवा तिजोरी में रखने से पूरे वर्ष आरोग्य और सुख – सौभाग्य की प्राप्ति होती है।होलिका दहन में एरंड और गूलर की लकड़ी का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन होली में आम की लकड़ी को जलाना अशुभ माना जाता है ।