भोपाल. मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में नित नई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं. अब यह बात सामने आई है कि इस बड़े ब्लैकमेलिंग सिंडिकेट में 40 से अधिक कॉल ग‌र्ल्स और बॉलीवुड की बी-ग्रेड अभिनेत्रियां भी कथित रूप से शामिल रही हैं, जिन्होंने राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल समेत कई अफसरों व नेताओं को अपने जाल में फंसाया है.

मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी के सूत्रों ने बताया कि अभी तक अफसरों व नेताओं की आपत्तिजनक अवस्थाओं की 90 वीडियो क्लिप मामले में गिरफ्तार पांच महिलाओं के कई मोबाइल फोनों और दो लैपटॉप से बरामद हुई हैं. सेक्स रैकेट की सरगना श्वेता स्वप्निल जैन ने राज्य सरकार के महत्वपूर्ण विभागों को संभालने वाले अफसरों व नेताओं के हनी ट्रैप के लिए बड़ी कॉल ग‌र्ल्स को अपने साथ जोड़ा था.

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श्वेता इन कॉल ग‌र्ल्स को सुविधानुसार किसी गेस्ट हाउस या पांच सितारा होटल में किसी अफसर या नेता के पास भेजती थी. वहां किसी गुप्त मोबाइल या कैमरे से उस अफसर या नेता की कॉल गर्ल के साथ आपत्तिजनक अवस्था का वीडियो बना लिया जाता था. जब कोई अफसर या मंत्री किसी सरकारी काम से मुंबई या दिल्ली जाते थे तो वहां उन्हें उनकी मांग के अनुसार मॉडल व बॉलीवुड अभिनेत्रियां भी उपलब्ध कराई जाती थीं. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि अभी एसआइटी को इस तरह की वीडियो क्लिप नहीं मिली है, जिसमें कोई अभिनेत्री दिखाई दे रही हो.

पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया था बंगला

सूत्रों के मुताबिक श्वेता ने यह भी स्वीकार किया है कि मप्र के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने भोपाल के पॉश इलाके में मीनाल रेसिडेंसी में उसे एक बंगला भी उपहार में दिया था. मामले में एक आरोपित आरती दयाल ने भी पूछताछ के दौरान स्वीकार किया है कि वह मप्र के एक वरिष्ठ आइएएस अफसर के संपर्क में आई और उन्होंने उसे कई मंत्रियों से मिलवाया. उस आइएएस अफसर ने उसे भोपाल में एक फ्लैट भी दिलवाया. बाद में यह फ्लैट उसकी सभी अवैध गतिविधियों का अड्डा बन गया.

आरती ने यह भी बताया कि फ्लैट के कुछ कमरों में गुप्त कैमरे लगाए गए थे, जहां नेताओं, अफसरों व सरकारी इंजीनियरों की आपत्तिजनक अवस्थाओं के वीडियो बना लिए जाते थे. आरती ने यह भी बताया कि उसने कुछ मामलों में मंत्रियों को बॉलीवुड की बी ग्रेड की अभिनेत्रियां व मॉडल भी उपलब्ध कराई. श्वेता की तरह आरती का भी एनजीओ है. वह अफसरों व मंत्रियों को कॉल ग‌र्ल्स उपलब्ध कराने के बदले अपने एनजीओ के लिए भारी भरकम सरकारी फंड लेती थी.